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Monday, May 8, 2017

गौ रक्षकों पर लगाम लगानी होगी

गौ रक्षकों पर लगाम लगानी होगी 
बेलगाम रक्षाभाव मोदी जी के नेतृत्व के लिए खतरा बन सकता है। इसपर उन्हें लगाम लगानी चाहिए।अच्छे दिन और सबका साथ सबका विकास का सपनादिखा कर 2014 में भारी बहुमत के साथ सत्ता में आये। किसी भी तरह के घोटाले  और पारिवारिक विरासत को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी से मुक्त तथा एक मिशन के उत्साह की विनाशी ऊर्जा से परिपूर्ण मोदी जी ने जो सकारात्मक बदलाव किया तथा जो योजनाएं चालू कीं अगर उनका अक्षरशः पालन किया गया होता तो 2022 में भारत में व्यापक सकारात्मक परिवर्तन आ गए होते। गत 23 अप्रैल को नीति आयोग की बैठक को संबोधित करते हुए मोदी जी ने कहा था कि भारत में गरीबी सबसे बड़ी समस्या है और यह लगातर विकास तथा अनवरत  आर्थिक  प्रगति से ही यह दूर  हो सकती है। बेशक उनके द्वारा शुरू की हर पहल प्रत्यक्ष या परोक्ष तौर पर उनकी व्यापक दूरदर्शिता का सबूत है।उन्होंने जो योजनाएं लागू कीं वे 2022 तक देश को प्रगति बीके शिखर पर पहुंचा देतीं। मेक इन इंडिया , डिजिटल इंडिया, सौर ऊर्जा , ऊर्जा पुनर्नवीकरण, बुलेट ट्रेन , ढांचागत परियोजनाएं, व्यवसाय की सुविधा, विमुद्रीकरण और जी एस  टी इत्यादि ।ये सब आर्थिक विकास को तीव्र करने के उद्देश्य से लागू किये गए थे। मोदी जी आलोचकों का अक्सर यह कहना है कि काला धन आया नहीं और भ्रष्टाचार गया नहीं , नौकरी या रोजगार बढ़े नहीं तथा अच्छे दिन दिखते नहीं। ये सब बातें हैं और बोलने की आज़ादी है कोई भी बात कह लीजिए पर सच तो यह है कि भारत आज  सबसे  तेज गति से बढ़ने वाली अर्थ व्यवस्था है और ऐसे समय में जब अधिकांश विकसित देश आर्थिक गिरावट से जूझ रहे हैं पर भारत दुनिया का सबसे बड़ा प्रत्यक्ष विदेशी मुद्रा के निवेश का स्थल है। यह मोदी जी का ही प्रभाव है कि ब्राह्मणों और बनियों की पसारती के रूप में मशहूर भा ज पा आज ग्रामीण गरीबों और दलितों का भी दिल जीत चुकी है।ऐसा इसलिए नही हुआ है कि चुनाव की पूर्व संध्या पर कुछ पार्टी नेता दलितों के यहां भोजन कर लेते है। इसका मुख्य कारण हैं अंबेडकर को लेकर पार्टी का प्रचार और उनके कार्यों की स्वीकृति। भा ज पा नेताओं ने कितनी बार सभाओं में अम्बेडकर का नाम लिया इसकी गिनती नही की जा सकती है। 14 अप्रैल को मोदी नागपुर की दीक्षा भूमि  भी गए थे। यहां 1956 में इसी दिन अम्बेडकर ने 60000 समर्थकों के साथ बौद्ध धर्म अपनाया था। एक परिवर्तन के रूप में इस साल अम्बेडकर के जन्मदिन पर नोएडा में बसपा नेता मायावती ने दलित प्रेरणा स्थल की स्थापना की। यहां बड़ी संख्या भा ज पा के झंडे लहराते देखे गए। ये झंडे बहन जी समर्थकों के झंडों से ज्यादा थे। यह संकेत देता है कि कुछ होने वाला है पर क्या यह तो समय बतायेगा। मोदी जी को गरीबों का विरोधी कहना या सूट बूट की सरकार कहना सरल है लेकिन उन्होंने जो कई योजनाएं शुरू किन वे बतातीं हैं कि मोदी जी ग्रामीण भारत की सबसे बड़ी समस्या गरीबी, शिक्षा की कमी स्वच्छता, स्वास्थ्य, कृषि की असफलता, बीजों और उर्वरक  का समय से उपलब्धता का अभाव  इत्यादि को लेकर कितने चिंतित हैं। प्रधान मंत्री जन  धन योजना , प्रधान मंत्री जीवन ज्योति योजना, प्रधान मंत्री ग्राम सिंचाई योजना, दीन दयाल उपाध्याय ग्राम कौशल योजना, स्वच्छ भारत योजना , बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ योजना  इत्यादि कुछ ऐसे उपाय हैं जो सही दिशा में चल रहे हैं। अपनी विदेश यात्राओं में प्रधानमंत्री भारत की सकारात्मक छवि तैयार करते हैं। मोदी जी के भारत को लोग गंभीरता से ले रहे हैं और बड़े राष्ट्र दोस्ती के इच्छुक दिखते हैं। यह उनके 35 महीने के कार्यकाल का चमत्कार है।
उत्तर प्रदेश के चुनाव से यह साफ जाहिर हो गया कि मोदी के रथ को रोकना संभव नही है।
लेकिन यह सारा विचार , नीतियों का प्रचार और सकारात्मकता पर स्वयम्भू रक्षकों के काम ने धूल डाल दी। ये स्वयम्भू रक्षक क़ानून अपने हाथ में लेकर असहाय  लोगों को आतंकित कर रहे हैं। ऊना में दलितों की बर्बर पिटाई, गाय , भैंसों के व्यापार के संदेह में लोगों की हत्या, जम्मू में महिलाओं और लड़कियों पर हमले, नोएडा में नाइजीरियाई छत्रों की बेहिसाब धुनाई, छेड़खानी रोकने के नाम पर जवान लड़के लड़कियों को परेशान किया जाना इत्यादि से लगता है कि 130 करोड़ का यह देश 5000 वर्ष पीछे चला गया। वह आदिम संसदकृति लौट आयी है जब गुंडे सड़कों पर राज करते थे और अपने मन का कानून लागू करते थे। मोदी जी यह स्वच्छ और श्रेष्ठ भारत नहीं है। बेलगाम रक्षा भाव देश के लिए और खास कर मोदी जी के लिए बहुत बड़ा खतरा है।गौर करें रक्षा भाव जब बहुत व्यापक और अमानुषिक हो जाता है तो राक्षस हो जाता है।

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