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Sunday, May 7, 2017

मूल समस्या क्या है?

मूल समस्या क्या है ?
हमला पाकिस्तान के बॉर्डर एक्शन टीम ( बैट) का है और जवाबी कार्रवाई भारतीय सेना भी करेगी पर नियंत्रण रेखा पर जो शहीद होता वह साधारण फौजी है, सिपाही है अपने वतन का। इन दिनों देश में देश में जेरे बहस ये मुद्दा है कि भारत पाकिस्तान को कैसा जवाब दे। पंजाब के मुख्यमंत्री कहते हैं कि पाकिस्तान ने सिपाही का सिर काटा तो उसके बदले तीन सिर लिए जायँ। योग गुरु बाबा रामदेव तो दस मांग रहे हैं। सरकार मौन है हालांकि जनरल विपिन रावत ने कहा है कि बदला लेंगे लेकिन किस तरह लेंघे यह नहीं बताया जाएगा। जब काम हो जाएगा तो देश को जानकारी दी जाएगी।
लेकिन यहां एक समस्या है। भारतीय जवान का सिर काट लिया गया , यह भारतीय अधिकारी जानते हैं। संभवतः इसकी तस्वीर है उनके पास। जवान की अंत्येष्टि बंद बक्से में कई गई। सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि उसके पास सज़ा दिलाने लायक सबूत हैं। ये सबूत हैं जवान के खून का नमूना और उसी रक्त की धारा नियंत्रण रेखा पर कर पाकिस्तान में जाती हुई। पाकिस्तान चुप है क्योंकि उसे मालूम है कि उसकी स्वीकारोक्ति उसे युद्ध अपराधी बना देगी। अगर बहुत बात आगे बढ़ेगी तो वे कहेंगे कि हमला करने वाले कश्मीरी " स्वतंत्रता संग्रामी" थे। हालांकि यह सब जानते हैं हमलावरों को पाकिस्तानी सेना ने " फायर कवर " दिया था। यहां भारत के लिए दुविधा जनक स्थिति हो जा रही है। भारत जाए और 10-12 सिर काट ले आये और आकार कहे कि हमने बदला ले लिया। जैसे ही यह बात होगी भारतीय सेना पर युद्ध अपराध का लांछन लग जायेगा जो जल्दी नही धुलेगा। जबकि भारत की छवि इस मामले में साफ रही है। ऐसा नही है कि भारतीय सेना ने उनके सिर नही काटे हैं पर सब कुछ बड़े पोशीदा ढंग से हुआ है और जिन्हें जानना चाहिए वो जान जाते हैं। अब सरकार मीडिया को बड़ी चालाकी से उकसा रही है कि बदले की मांग को हवा दे। लेकिन यह पर्याप्त नही होगा। फ़र्ज़ करें कि दस दिन बाद सेना एक प्रेस रिलीज कर कहती है कि हमने प्रतिशोध ले लिया। तब क्या होगा कि पाकिस्तान कहेगा यह झूठ है ऐसा कुछ हुआ ही नहीं। जैसा सर्जीकल स्ट्राइक के वक्त हुआ था। अभी तक यह केवल भारतीय दावा ही है इसका कोई पक्का सबूत नहीं है, ना पाकिस्तान के पास और ना दोनों देशों में मौजूद  राष्ट्र संघ सैनिक पर्वेक्षक समूह के पास। यह समूह आम तौर पर सीमा की निगरानी करता है।
यहां सबसे बड़ी समस्या है कि इसे रोकने के लिए क्या करना होगा हम नहीं जानते हैं। क्योंकि हमला अगर पाकिस्तानी बैट करे या भारतीय स्पेशल फोर्स नियंत्रण रेखा पर इसका शिकार साधारण फौजी होगा। चाहे वह हमला घात  लगाकर हो या गुपचुप हो। अलबत्ता अगर केवल बैट ही निशाने पर हो तो बात कुछ बन सकती है। लेकिन क्या ऐसा हो सकता है। अभी तक तो गरीब जवान ही मारे जाते हैब जो हमारे देश के लिए अनुषांगिक क्षति है। हैम तो सही तरीके से यह भी नहीं जानते कि ऐसा होता क्यों है? केवेल संदेह है कि यह सब पाकिस्तानी फौज के इशारे पर किया जाता है।हो सकता है कि यह उनकी तरफ से बदले की कोई कार्रवाई हो या यह भी हो सकता है कि सीमा पर तनाव बढ़ाने के इरादे से यह किया जाता हो ताकि भारत रिएक्ट करे ।इस बार जो हुआ वह चीन में जुलाई में शिखर सम्मेलन में भारत पाकिस्तान वार्ता की संभावनाओं को खत्म करने के इरादे से किया गया हो। अगर संभावना भारत को उकसाने के इरादे से किये गए हैमल कि है तो इसमें चुप रहना ही बेहतर है और अगर वार्ता को डैमेज करने वाली बात है तो मामले को थोड़ा ठंडा पड़ने पर कोई कार्रवाई की जय तो अच्छा। यह बड़ी बेतुकी स्थिति है और भारत तथा पाकिस्तान को युद्ध में धकेला जा रहा है। इस युद्ध के एक सिरे पर बैलिस्टिक मिसाइल्स हैं , परमाणु हथियार है और दूसरे सिरे पर चाकू और घूंसा है। बीच में वही बंदूक- टैंक वाली पुरानी लड़ाई है। नियंत्रण रेखा पर जो कुछ हो रहा है उसमें भारत अपने राष्ट्र वाद को धार देता दिख रहा है। सरकार राष्ट्र निर्माण के बदले नकारात्मक उग्र भावनावों की घुट्टी पिला रही है। यह एक आदिम वृति है और इसे खत्म करने की ज़रूरत है उसे आदिम तरोके से ही मिटाया जा सकता है युद्ध तो बस रस्म है।

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