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Wednesday, May 3, 2017

यह एक मनोवैज्ञानिक युद्ध है

यह एक मनोवैज्ञानिक  युद्ध है 
भारत के पुंछ सेक्टर में कृष्णा घाटी चौकी पर पाकिस्तानी बॉर्डर एक्शन टीम( बैट ) का हमला और उस हमले में दो भारतीय सैनिकों के शवों को क्षत  विक्षत कर देना दरअसल भारतीय सेना का मनोबल गिराने का षड्यंत्र हैं और इसका उत्तर हमे बहुत सोच समझ कर और बहुत योजना बद्ध रूप में देना होगा। सेना प्रमुख जनरल विपिन रावत और रक्षामंत्री अरुण जेटली ने बहुत ही स्पष्ट कहा है कि " इसका जवाब हमें कहां और कब देना है वह हम तय करेंगे।"  इसके बावजूद प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का इस मामले पर चुप रहना सचमुच खल गया है।  पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान प्रधान मंत्री जी ने एक ऐसी ही घटना पर कांग्रेस को शर्मसार करते हुए ऐलान किया था कि " वो एक मारेंगे तो हम 10 मारेंगे । " इसके बाद सर्जिकल स्ट्राइक जैसे रूटीन सैन्य कार्यक्रम को भीषण आत्मप्रचार का जरिया बना कर उन्होंने देश को आश्वासन दिया था कि पाकिस्तान अब ऐसा वैसा कुछ भी करने की हिमाकत नही करेगा। उसके बाद से ही श्रीनगर उबलने लगा और जिन हाथों में कलम होनी चाहिए थी उनमे पत्थर आ गए और जबान पर भारत विरोधी नारे। जिस विजयनी सेना पर हमें नाज है उसे कश्मीरी किशोरों के हाथ अपमानित होता हुआ देखना सम्पूर्ण भारत के लिए लज्जाजनक है। कभी लोकगीतों में सैनिकों को सूरमा बता कर महिलाएं गाती थीं। विख्यात कवि मृत्युंजय सिंह ने अपने एक भोजपुरी गीत में कहा है 
" तोहरे पियवा कप्तान ऐ सखी त हमरो बलमुआ किसान
तोहरे पियवा राखे ले देश के शान त हमरा बलमुआ देले अनजवा के दान।"
आज किसान आत्महत्या कर रहे हैं और सैनिक दुश्मनों के हाथ अपमानित हो रहे हैं। सरकार चुप है। सियासत के पेचोखम में राष्ट्र की सुरक्षा गौण हो चुकी है। इस बात का इससे बड़ा क्या उदाहरण होगा कि हमारे देश के पास एक पूर्ण कालिक रक्षा मंत्री नहीं है । उधर पाकिस्तान ने ऐसे ही काम के लिए बैट का गठन किया है। बैट में सैनिक नहीं अत्यंत ट्रेंड आतंकवादी हैं और वे नियंत्रण रेखा को पार कर तीन किलोमीटर तक हमले  करने के अभ्यस्त हैं। इसी बैट के आतंकियों ने कारगिल युद्ध के बाद राजौरी जिले के नौशेरवां सेक्टर में भारतीय सेना की एक चौकी  पर हमला कर 8 जवानों को मार डाला और एक सिपाही का सिर काट कर ले गए।
कृष्णा घाटी की घटना का मौका भी जरा देखें । घटना के एक दिन पहले पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल कमर वाजवान उस इलाके में आये थे और उन्होंने कश्मीरी आंदोलन को समर्थन देने का वादा किया था। हैमल के बाद पाकिस्तानी सेना का कहना है कि उसने ऐसा कुछ नही किया। इधर भारतीय सेना ने कहा कि बैट ने हमला कर सैनिकों के शवों को क्षत विक्षत कर दिया जबकि बी एस एफ के एक अफसर के हवाले से समाचार एजेंसी ने कहा है कि पाकिस्तानी दोनों सैनिकों के सर काट कर ले गए हैं। एक वरिष्ठ सेनाधिकारी के अनुसार यह पूर्व नियोजित  हमला था। बैट का एक दस्ता नियंत्रण रेखा के भीतर घुस आया था और भारतीय सेना के गश्ती दल पर घात लगाए हुए था। जैसे ही भारतीय गश्ती दल उनके निशाने पर आया उसने मोर्टार से फायरिंग शुरू कर दी। बैट ने इसके पहले भी इस तरह के हमले किये हैं। 28 अक्टूबर 2016 को माछिल सेक्टर हमला कर उसने एक जवान को मार कर उसका शव बिगाड़ दिया। जनवरी 2013 में हमला कर एक जवान का सिर काट कर ले गए और एक को मार डाला। 
अब सवाल है कि भारत इसका यह भारत के लिए बेहद नाजुक समय है। जवाब कैसे दे। जनता तो चाहती है कि खुल्लम खुल्ला हमला कर दिया जाय लेकिन इसके दुष्प्रभाव होंगे। सर्जिकल स्ट्राइक के भीषण प्रचार का नतीजा हुआ कि 15 दिसंबर 2016 तक नियंत्रण रेखा पर हमारे 60 फौजी मारे गए। 2017में भी यह सिलसिला जारी है। ऐसे में जनता की कड़ी कार्रवाई की मांग बहुत अक्लमंदी भारी नही कही जाएगी। भारत को यह प्रदर्शित करना ज़रूरी होगा कि हम कमज़ोर नही हैं और बहुत कुछ कर सकते हैं।

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