CLICK HERE FOR BLOGGER TEMPLATES AND MYSPACE LAYOUTS »

Friday, April 19, 2019

हो चित जहां भय शून्य  

हो चित जहां भय शून्य  

गुरुवार को चुनावी माहौल काफी गर्म रहा। एक तरफ मतदान का दूसरा चरण चल रहा था और दूसरी तरफ नेताओं के भाषण। भाषण भी ऐसे जैसे आग लगाने की कोशिश की जा रही है या आतंकित करने की कोशिश हो रही है। चाहे वह आतंक एनआरसी का हो या गरीबी का।  निर्वाचन आयोग ने कांग्रेस के विज्ञापन "चौकीदार  चोर है " पर पाबंदी लगा दी। इस रोक से लिए मध्य प्रदेश के संयुक्त मुख्य चुनाव पदाधिकारी राजेश कौल ने सिफारिश की थी। कहा गया है  कि चौकीदार चोर है विज्ञापन में अभद्र भाषा का प्रयोग किया गया है और यहां चौकीदार का आशय है मोदी से। इस विज्ञापन से व्यक्ति विशेष को निशाने पर लिया गया है । इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ दायर एक याचिका को भी मंजूर किया है। यहां एक संदर्भ का उल्लेख प्रासंगिक हो रहा है कि जब 1989 में राजीव गांधी चुनाव लड़ रहे थे और बोफोर्स का मामला गरमाया  तो सड़कों पर खुल्लम खुल्ला नारे लगते थे "राजीव गांधी चोर है।" उस जमाने में इस पर बात नहीं हुई नाही इस नारे पर पाबंदी लगी। एक तरफ तो  बंदिशों की बात चल रही है और तो दूसरी तरफ एक दूसरे पर सीधा हमला किया जा रहा है।
      गृह मंत्री राजनाथ ने बंगाल में हावड़ा और मालदह में अपने भाषणों के दौरान गुरुवार को कहा कि गरीबी हटाने का कांग्रेस का कथन गलत है, झूठा है। गरीबी तभी दूर हो सकती है जब भारत कांग्रेस मुक्त हो। श्री सिंह ने कहा कि जवाहरलाल नेहरू के जमाने से ही कांग्रेस गरीबी हटाने के झूठे वादे  कर रही है। इंदिरा गांधी, उनके बाद  राजीव गांधी और अब राहुल गांधी भी गरीबी हटाने की बात कर रहे हैं। जबकि सच्चाई यह है कि कांग्रेस मुक्त बनाने पर ही भारत से गरीबी हटेगी। उन्होंने बताया कि अमरीका ने 2016 में एक सर्वे किया था जिसमें भारत में 12.5 करोड़ गरीब थे।2019 में वह संख्या घटकर 5 करोड़ पहुंच गई है।
         उधर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री  ममता बनर्जी ने मालदा में कहा कि केंद्र की फसिस्ट और स्वेच्छाचारी सरकार 5 वर्षों तक देश को लूटती रही है अब उसकी विदाई का समय आ गया है। वह इस देश को एनआरसी देना चाहती है एनआरसी उस पर एनबीसी( नेशनल बिदाई सर्टिफिकेट) साबित होगा। उन्होंने कहा कि  वह बंगाल में एनआरसी लागू नहीं होने देंगी । एनआरसी का फैसला उल्टा पड़ेगा। देश में नोटबंदी और जीएसटी से बेरोजगारी बढ़ाने वाली सरकार को वोट मांगने का अधिकार नहीं है। वाह असम सहित बंगाल में किस आधार पर वोट मांग रही है । असम में एनआरसी के जरिए लगभग 42 लाख हिंदू मुसलमान समुदाय के लोगों को नागरिकता सूची से एक झटके में हटा दिया गया और वह बंगाल में एनआरसी लागू करने की बात कर रही है। उन्होंने कहा बंगाल में एनआरसी का कभी लागू नहीं होने दिया जाएगा।
        चुनावी भाषणों में आरोप-प्रत्यारोप पहले भी लगते रहे है लेकिन इन दिनों इन का स्तर बहुत ही नीचे चल आया है। खास करके जब जनसभाओं में हमारे नेता भाषण दे रहे हैं। यह एक तरह से हमारे समाज के सोचने के ढंग को परिलक्षित करता है। इन दिनों हमारे अवचेतन में बैठे भय के भूत को जगाया जा रहा है। हमारे अवचेतन में बैठी जो बात हमें लगातार आतंकित करती आ रही है या हमारे गुस्से को भड़का देती है आज चुनाव में बार बार उन्हीं बातों का उपयोग किया जाता है । कहा जा सकता है कि पूरा मतदाता वर्ग उपभोक्ता है तथा आवाज ,लेखन एवं नारों से  औजार बनाकर उसके सामने इस तरह से पेश किया जा रहा है जैसे कोई हथियार दिखा कर लूटना चाह रहा हो। इलेक्शन जीतने वाले आम जनता को भयभीत कर चुनाव जीतते हैं। मनोवैज्ञानिक तौर पर कहें तो भय बहुत बड़ा औजार है । बट्रेंड रसल का मानना था की कोई देश या समाज जब तक आतंकित नहीं होगा  तब तक उसे विश्वसनीय तौर पर उपयोग में नहीं लाया जा सकता। आज हमारे नेता यही कर रहे हैं। वह समाज को तरह-तरह के जुमलों से ,नारों से भयभीत कर रहे हैं। उनके भीतर बैठे भय को जगा रहे हैं । वह भय चाहे  एनआरसी का भय हो या झूठ का भय हो। हमें इस बात पर विचार करना होगा कि हम कैसे भय मुक्त हो सकें। कवि गुरु रवींद्रनाथ ने लिखा था
       हो चित जहां भय शून्य, माथ हो उन्नत
        बस उसी स्वर्ग में जागे देश हमारा

0 comments: