CLICK HERE FOR BLOGGER TEMPLATES AND MYSPACE LAYOUTS »

Sunday, April 28, 2019

धनबल और हमारा लोकतंत्र

धनबल और हमारा लोकतंत्र

हाल के वर्षों में मतदाताओं को धमकाने , उन्हें वोट  देने से रोकने तथा बूथ दखल की घटनाओं पर रोक लगी है । लेकिन आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों का प्रतिशत अभी भी चिंता का विषय है। इसके अलावा सबसे ज्यादा चिंता होती है धनबल को लेकर। चुनाव में बढ़ता धन बल का प्रभाव हमारे लोकतंत्र के लिए बहुत खतरनाक है। देश भर से खबरें आ रहीं हैं कि विभिन्न चुनाव क्षेत्रों में मतदाताओं को प्रत्यक्ष रिश्वत दी गई है। हाल में कर्नाटक से खबरों में बताया गया  कि कई चुनाव क्षेत्रों में राजनीतिक नेताओं नए 30 करोड़ से ज्यादा खर्च किए। कुछ चुनिंदा चुनाव क्षेत्रों में 100 करोड़ से भी ज्यादा खर्च किए गए । लोकसभा की हर सीट पर चुनाव के दौरान रुपए पानी की तरह बहाए जाते हैं और इस क्रम में साधारण आदमी लोकतांत्रिक प्रक्रिया से अलग हो जाता है। नेशनल इलेक्शन वॉच और एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक राइट्स  उम्मीदवारों द्वारा नामांकन के दौरान जमा किए गए शपथ पत्रों विस्तृत विश्लेषण मुहैया कराता है। विश्लेषण के अनुसार लोकसभा की 521 सीटों पर जो हलफनामे दर्ज किए गए हैं वह  बेहद चिंता का विषय हैं। विश्लेषण के अनुसार केवल तीसरे चरण में 340 ऐसे उम्मीदवार हैं जो अपराधिक मामलों में संलग्न है और इनमें से 230 उम्मीदवारों पर गंभीर आपराधिक अभियोग हैं। तीसरे चरण में 1612 उम्मीदवार मैदान में हैं जिनमें 1594 उम्मीदवारों के हलफनामे का विश्लेषण किया गया । इनमें से 392 उम्मीदवारों के पास एक करोड़ या उससे  ज्यादा की दौलत है और यह उम्मीदवार बड़ी राजनीतिक दलों की ओर से चुनाव लड़ रहे हैं। 43% उम्मीदवार ग्रेजुएट या उससे ज्यादा पढ़े लिखे हैं। एक तिहाई उम्मीदवार 25 से 40 वर्ष की उम्र के हैं यानी नौजवान हैं। एक चौथाई उम्मीदवारों ने बताया है कि उनके पास एक करोड़ से ज्यादा की दौलत है। इनमें 74 उम्मीदवार कांग्रेस के हैं 81 उम्मीदवार भाजपा के हैं 12 बसपा से हैं और नौ सपा के। महाराष्ट्र गुजरात और कर्नाटक में सबसे ज्यादा उम्मीदवार करोड़पति हैं। इनमें से सबसे ज्यादा अमीर 3 उम्मीदवारों में से एक देवेंद्र सिंह यादव हैं जिन की कुल संपत्ति 204 करोड़ है। यह उत्तर प्रदेश के एटा  चुनाव क्षेत्र से समाजवादी पार्टी की टिकट पर लड़ रहे हैं। दूसरे हैं एनसीपी के उदयनराजे भोसले जो सतारा से चुनाव लड़ रहे हैं और इनके पास 199 करोड़ की संपत्ति है और तीसरे हैं उत्तर प्रदेश के ही प्रवीण सिंह आरोन यह बरेली से चुनाव लड़ रहे हैं और इन्होंने 147 करोड़ की संपत्ति की घोषणा की है। यही नहीं दूसरे चरण के चुनाव में जिन 1590 उम्मीदवारों के हलफनामे  का विश्लेषण किया गया उनमें से 27% उम्मीदवार करोड़पति हैं इनमें से 39 उम्मीदवार   हैं जिनकी संपत्ति में 2014 के मुकाबले 67% की वृद्धि हुई है। दूसरे चरण में 44 पूर्व सांसद जोर आजमा रहे हैं जिन की कुल संपत्ति 1262 करोड़ है । इतनी रकम से प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत से 6000 किलोमीटर लंबी सड़क बन सकती है। पहले चरण के चुनाव में जिन 1266 उम्मीदवारों के हलफनामा का विश्लेषण किया गया तो पाया गया कि उनमें 401 उम्मीदवार यानी 32% उमीदवार ऐसे हैं उनकी संपत्ति एक करोड़ या उससे ज्यादा है। इस चुनाव में तीन ऐसे उम्मीदवार हैं जिनकी संपत्ति सबसे ज्यादा है ।इनमें कांग्रेस के  बेला चुनाव क्षेत्र के विशेश्वर रेड्डी जिनकी संपत्ति 895 करोड़ है। दूसरे वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के प्रसाद वीरा पोटलूरी है जिनकी संपत्ति 347 करोड़ से ज्यादा है और आंध्र प्रदेश के नरसापुरम चुनाव क्षेत्र से वाईएसआर कांग्रेस के ही कनमुरू राजू है जिनकी कुल दौलत 325 करोड़ है।
      पिछली लोकसभा में भी यही हालात थे। 521 सांसदों में से  174 यानी एक तिहाई सदस्यों ने हलफनामे में कहा था कि उनपर  आपराधिक मामले चल रहे हैं । इनमें 106 सदस्य ऐसे  थे जिन पर हत्या  का प्रयास अपहरण और सांप्रदायिक विद्वेष पैदा करने जैसे गंभीर मामलों में फंसे थे। जहां तक धनबल का प्रश्न था इनमें 430 सदस्य करोड़पति थे। इसके पहले वाली लोकसभा के सदस्यों वर्तमान के उम्मीदवारों को  देखते हुए  समझा जा सकता  है कि चुनाव के बाद बनने वाली लोकसभा के सदस्यों में बहुत कुछ बदलेगा नहीं ।  इसे बदलना होगा और इसका सबसे अच्छा उपाय है कि आपराधिक बैकग्राउंड के लोगों को तब तक चुनाव नहीं लड़ने दिया जाए जब तक वह बरी न हो जाए। प्रतिशोध के लिए दायर किए जाने वाले मुकदमों को रोकने के लिए अदालतों को प्राथमिकता के आधार पर सुनवाई करनी चाहिए। ऐसे मुकदमों को जो प्रतिशोध के लिए दायर किए जाते हैं उन्हें रोकने के लिए एमएन वेंकटचलिया की सिफारिशों पर ध्यान देना चाहिए। पांच दशक पहले चुनाव के दौरान भारी हिंसा हुआ करती थी  लेकिन बाद में बाहुबल को नियंत्रित कर लिया गया है। चुनाव के दौरान अर्ध सैनिक बलों की तैनाती और मतदाताओं को रिश्वत देने के लिए जमा की गई बड़ी संख्या में नगदी सोना शराब और ट्रक जप्त करने के बावजूद चुनाव आयोग असहाय लग रहा है सुनकर हैरत होती है कि पहले दो चरणों में चुनाव आयोग ने सात सौ करोड़ रुपए नगदी ,1152 करोड़ मूल्य के ड्रग्स  218 करोड़ मूल्य की शराब और  500 करोड़ रुपए रुपए मूल्य  के सोना चांदी जप्त किए जो  अभूतपूर्व है। लेकिन फिर भी यह संपूर्ण नहीं है चुनाव आयोग को इस पर विचार करना चाहिए और इसे रोकना चाहिए वरना हमारा लोकतंत्र एक दिखावा बनकर रह जाएगा ।

0 comments: