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Tuesday, April 9, 2019

भाजपा की घोषणा नहीं , उसका संकल्प

भाजपा की घोषणा नहीं , उसका संकल्प

जब चुनाव आते हैं तो तरह-तरह के अजूबे भी सामने आते हैं। तरह-तरह की बातें भी सुनने में आती हैं।  इस बार भाजपा ने अपने चुनाव घोषणा पत्र का नाम संकल्प पत्र दिया है। नाम से ही ऐसा लगता है कि वह कुछ वादे नहीं प्रतिज्ञा कर रही है। यह संकल्प पत्र तब आया जब मतदान के पहले चरण में महज 3 दिन बाकी रह गये।  अब  इस घोषणा पत्र को या कहें संकल्प पत्र पर जनता कब विचार बनाएगी और उसे कैसे इतने बड़े देश में इतनी जल्दी पहुंचाए जा सकता है । पार्टी के संकल्पों को देश के कोने कोने तक पहुंचाने में महज 3 दिन का समय थोड़ा कम लगता है। संकल्प पत्र के माध्यम से जो प्रतिज्ञा की गई है उस प्रतिज्ञा में शामिल है कि किसानों को ₹6000 दिया जाएगा, छोटे काश्तकारों, खेतिहर मजदूरों और छोटे दुकानदारों को पेंशन दी जाएगी।  जैसा कि बताया गया है कि यह संकल्प पत्र पहली बार जनभागीदारी से सैकड़ों सुझावों के आधार पर तैयार किया गया है। सुझाव प्राप्त करने के लिए मन की बात अभियान में 4000 कार्यक्रम किए गए थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ,गृह मंत्री एवं संकल्प पत्र समिति के अध्यक्ष राजनाथ सिंह, वित्त मंत्री अरुण जेटली एवं विदेश मंत्री सुषमा स्वराज द्वारा सोमवार को जारी इस संकल्प पत्र को कांग्रेस ने झूठ का गुब्बारा करार देते हुए दावा किया कि अब इनके हथकंडे चलने वाले नहीं हैं। देश की जनता इन्हें पहचान चुकी है। पार्टी प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि मोदी जी का मूल मंत्र है "झांसे से फांसो" यह " घोषणा पत्र नहीं झांसा पत्र है।"
        संकल्प पत्र में स्पष्ट कहा गया है कि सरकार आतंकवाद और वामपंथी उग्रवाद को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेगी । इस मामले में  जीरो टॉलरेंस होगा। पार्टी ने अगले 5 वर्षों में अधिक प्रभावी कदम उठाने की प्रतिबद्धता व्यक्त की। पार्टी ने कहा है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद के विरुद्ध एक मंच बनाने का प्रयास किया जाएगा तथा संविधान में जम्मू कश्मीर से संबंधित अनुच्छेद 370 एवं 35 ए को समाप्त कर दिया जाएगा। घोषणा पत्र में कहा गया है कि ऐसा लगता है कि धारा 35 ए  कश्मीर के विकास में अवरोध पैदा कर रहा है और इसलिए कश्मीर के सभी लोगों के विकास और सुरक्षा के देश सभी प्रकार के कदम उठाए जाएंगे । इसमें कहा गया है कि "हम  पूरी कोशिश करेंगे  कश्मीरी पंडित  लौट आएं  और पश्चिमी पाकिस्तान, पाक अधिकृत कश्मीर और छम्ब  से आए शरणार्थियों को  पुनर्वास के लिए  आर्थिक सहायता दी जाएगी।" 370 के संबंध में संकल्प पत्र में कहा गया है की इसके संबंध में जो जनसंघ का मानना था हम उसे आज भी मानते हैं। लेकिन पार्टी यह स्पष्ट नहीं कर सकी उसने कश्मीर में पीडीपी के साथ क्यों हाथ मिलाया ?  पीडीपी सदा यह धमकियां देती रहती है की अगर धारा 370 को हटाया जाता है या उसमें बदलाव किया जाता है तो खतरनाक परिणाम होंगे।
         भाजपा ने हालांकि राम मंदिर बनाने का वादा जरूर किया लेकिन स्वर बदला हुआ था। इस बार "मंदिर वहीं बनाएंगे" नहीं कहा गया, बल्कि यह कहा गया कि "शांतिपूर्ण वातावरण में मंदिर बनाने के लिए सभी विकल्पों पर विचार किया जाएगा।" ऐसा लगता है कि भाजपा ने यह माना है कि भारत लोग शांति पूर्ण वातावरण के लिए ज्यादा इच्छुक हैं जिसमें उद्योग और व्यापार पनप सकें।
         प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर कहा, एयर कंडीशन कमरे में बैठे लोग गरीबी नहीं हटा सकते। गरीब ही गरीबी को  परास्त कर सकता है। संकल्प पत्र में गरीबों के सशक्तिकरण पर बल दिया गया है।
          भाजपा ने अपने संकल्प पत्र में कृषि क्षेत्र में 25 लाख करोड़ के निवेश का वादा किया है ताकि खेतों की उत्पादकता बढ़ाई जा सके । पार्टी ने किसान क्रेडिट कार्ड पर मुफ्त कर्जे की घोषणा की है। पार्टी ने कहा है की  वह 1 साल से 5 साल तक की अवधि के दिए 1 लाख रुपये तक का ब्याज मुक्त कर्ज मुहैया कराएगी। शर्त होगा कि मूल राशि को जल्दी वापस किया जाए । यद्यपि खेतों और खेती की दुर्दशा को देखते हुए यह बहुत महत्वपूर्ण वादा है । अब देखना है क्या मतदाता कांग्रेस के 72 हजार रुपए के वादे के मुकाबले इसे पसंद करते हैं या नहीं।
भाजपा ने महिलाओं से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण संकल्प को व्यक्त किया है । पार्टी ने प्रतिज्ञा की है कि संसद और राज्य विधानसभाओं में 33% महिलाओं के लिए आरक्षण की दिशा में वह काम करेगी। इसके लिए संविधान संशोधन किया जाएगा। लेकिन पार्टी के इस वादे पर विचार करने से कुछ दूसरा ही निष्कर्ष निकलता है। पार्टी ने इस बार चुनाव में 33% महिलाओं को टिकट नहीं दिया है। जबकि बीजू जनता दल ने ऐसा किया है। यही नहीं पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस में 42 लोकसभा सीटों  में 40 प्रतिशत महिलाओं को टिकट दिया है।
      संकल्प पत्र में रोजगार पर अलग से कोई सेक्शन नहीं दिया गया है। रोजगार का मुद्दा ऐसे ही गुम हो गया है जैसे देश में राष्ट्रवाद के हल्ले में बेरोजगारी का मामला दब जाता है। घोषणा पत्र में रोजगार का जिक्र इस तरह किया गया है कि रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनेंगे इससे रोजगार बढ़ेगा, घुसपैठियों के कारण स्थानीय लोगों का रोजगार छिन गया है इसलिए घुसपैठियों को रोकेंगे, पीपीपी के जरिये  रोज़गार बढ़ाएंगे और अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए 22 सेक्टरों की पहचान करेंगे इससे रोजगार भी बढ़ेगा। हैरत होती है कि  5 साल पहले हर साल एक करोड़ नौकरियां देने का वादा करने वाली भाजपा आज तक रोजगार देने वाले हैं सेक्टरों की पहचान तक नहीं कर पाई है।
         इस घोषणा पत्र या कहें संकल्प पत्र को मतदाताओं ने कितना स्वीकार किया है यह तो आने वाला समय बताएगा ,लेकिन यह तय कि भाजपा का प्रचार तंत्र इसे कुछ इस तरह प्रचारित करेगा कि इसका मतदाताओं पर सकारात्मक प्रभाव पड़े और प्रभाव का असर वोटों पर भी दिखाई पड़े । अस्तु परिणाम का अंदाजा खुद लगा सकते हैं।
       

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