"विरोधी विचार वाले दुश्मन नहीं हैं "
भारतीय जनता पार्टी के वयोवृद्ध नेता लालकृष्ण आडवाणी ने पार्टी को नसीहत दी है वह विरोधियों को दुश्मन ना माने। उन्होंने कहा है की राष्ट्रवाद से सियासी असहमति जताने वाले को राष्ट्र विरोधी नहीं माना जाए। वह राष्ट्र विरोधी नहीं हैं। भारतीय लोकतंत्र का मतलब है विविधता और अभिव्यक्ति का सम्मान। पार्टी किसी भी स्तर पर चाहे वो व्यक्तिगत हो या राजनीतिक हर नागरिक को अपने पसंद या नापसंद जाहिर करने की आजादी की तरफदार है और हम उस आजादी को अक्षुण्ण रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं। भाजपा शुरू से ही मीडिया और अन्य सभी लोकतांत्रिक संस्थानों की स्वतंत्रता और अखंडता की मांग करने में आगे रही है । आडवाणी जी ने एक ब्लॉग में लिखे अपने लेख में कहा है कि "पहले देश है तभी पार्टी है और आखिर में मैं।" यह मेरे जीवन का सिद्धांत है और मैं आजीवन इस सिद्धांत का पालन करने की कोशिश में रहूंगा। आडवाणी जी का यह बयान संजोग वश उस समय आया है जब पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने उत्तराखंड में एक रैली को संबोधित करते हुए कांग्रेस के चुनाव घोषणापत्र को देशद्रोही कहा है। उन्होंने कहा कि "राहुल बाबा और राष्ट्र विरोधियों की उनकी टीम बालाकोट हमले के कारण विचलित हो गई है।"
6अप्रैल को भाजपा का स्थापना दिवस है और इस अवसर पर उन्होंने लिखा है कि स्थापना दिवस के दिन हमें यह मौका मिलता है कि हम पीछे देखें और अपने भीतर देखें। उन्होंने कहा है कि वे भाजपा के संस्थापक सदस्य हैं इसलिए इस अवसर पर उन्होंने देश के लोगों से अपने अनुभव को साझा करना अपना कर्तव्य माना है।
आडवाणी जी के इस ब्लॉग के जवाब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया कि उन्होंने पार्टी का सच्चे अर्थों में मतलब बताया है। प्रधानमंत्री ने अपने ट्वीट में लिखा है कि आडवाणी जी ने भाजपा की मूल भावना को सही तरीके से पेश किया है। सबसे गौर करने लायक वह मंत्र जिस पर पार्टी चलती है , "नेशन फर्स्ट पार्टी नेक्स्ट सेल्फ लास्ट।" प्रधानमंत्री ने लिखा है कि भाजपा का कार्यकर्ता होने पर मुझे गर्व है और इस बात का गर्व है कि आडवाणी जी जैसे महान व्यक्तित्व ने इसे मजबूती प्रदान की है।
आडवाणी जी का यह लेख खासकर पार्टी स्थापना दिवस के पूर्व एक तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सबक है ।क्योंकि नरेंद्र मोदी अक्सर यह कहते चलते हैं कि राष्ट्र विरोधी और देश के दुश्मन चाहते हैं कि नरेंद्र मोदी चुनाव ना जीतें। वे चुनाव सभाओं में कहते हैं कि आतंकवादी और पाकिस्तान चाहते हैं कि नरेंद्र मोदी इलेक्शन हार जाएं। उन्होंने कहा है कि कांग्रेस का चुनाव घोषणा पत्र पाकिस्तान की साजिश है। यही नहीं पार्टी अध्यक्ष अमित शाह भी अक्सर विपक्ष पर आरोप लगाते हैं कि वह पाकिस्तान के पक्ष में काम करता है। दूसरा अवसर है जब पार्टी के वयोवृद्ध नेता लालकृष्ण आडवाणी ने सार्वजनिक बयान जारी किया है जिसे पार्टी के नेतृत्व के लिए एक संदेश माना जा सकता है। मोदी अमित शाह के गुट से आडवाणी जी का रिश्ता उस समय से अच्छा नहीं रहा जब पार्टी सत्ता में आई । मुरली मनोहर जोशी तथा स्वर्गीय अटल बिहारी बाजपेई सहित उन्हें पार्टी के मार्गदर्शक मंडल का सदस्य बनाया गया । 2015 में बिहार विधानसभा चुनाव में पार्टी की भारी पराजय के बाद पार्टी के मार्गदर्शक मंडल ने एक बयान जारी किया था ।इसे इतना महत्त्व नहीं दिया गया । हालांकि उस बयान में कहा गया था कि दिल्ली के बाद बिहार में भारी पराजय मोदी- शाह के नेतृत्व के कारण मिली है। उस समय आडवाणी जी मार्गदर्शक मंडल के प्रमुख थे। उन्होंने कहा था कि, कहने के लिए तो बिहार में पराजय के लिए सभी जिम्मेदार हैं लेकिन यह सही है की हर कोई जिम्मेदार नहीं है। पार्टी की विजय के श्रेय जिन लोगों को मिलता वही इस की पराजय के भी जिम्मेदार हैं। आडवाणी जी के इस बयान पर यशवंत सिन्हा, मुरली मनोहर जोशी और शांता कुमार के हस्ताक्षर थे। बयान में यह कहा गया था इस पराजय की समीक्षा की जाए। आडवाणी जी के नए बयान पर भाजपा नेता सुधींद्र कुलकर्णी ने कहा है यह 2019 के चुनाव में अब तक का सबसे बड़ा हस्तक्षेप है आडवाणी जी का बयान मोदी और शाह पर एक प्रतिघात है।
गांधीनगर से 6 बार सांसद रहे लालकृष्ण आडवाणी भाजपा के सबसे लंबी अवधि वाले अध्यक्ष थे पार्टी के कई नेताओं ने उन्हें इस बार टिकट नहीं दिए जाने का कारण उनसे उम्र को बताया है। इस बार जब अमित शाह गांधीनगर से अपना परिचय भर रहे थे तो उस समय विशिष्ट रूप से आडवाणी जी के पोस्टर लगे थे शाह बताया कि उनकी उम्मीदवारी आडवाणी जी की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए है।
आडवाणी जी के नए बयान से संभवत विपक्ष को भाजपा पर हमला करने का एक मसाला मिल गया । क्योंकि इसमें उन विषयों पर भी प्रकाश डाला गया है जिससे भाजपा को आलोचना सुननी पड़ती है ,जैसे लोकतंत्र का सम्मान, लोकतांत्रिक संस्थाओं का सम्मान और चुनावी कोष की पारदर्शिता तथा बोलने एवं अभिव्यक्ति की आजादी। आडवाणी जी ने आपात स्थिति में भाजपा के संघर्ष का उदाहरण देते हुए कहा है कि लोकतंत्र लोकतांत्रिक परंपराओं सुरक्षा की भावना पार्टी की पहचान हैं ।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक ट्वीट जारी कर कहा है कि यह बयान बहुत महत्वपूर्ण है यकीनन जो विपक्षी विरोध में बोलते हैं देशद्रोही नहीं है। हम इस बयान का स्वागत करते हैं।
यहां एक बात ध्यान देने की है भारतीय राजनीतिक समुदाय में एकता का जो बंधन है जिसके कारण भारतीय जनता एक होती है वह कहीं से मिलता नहीं है उसे सावधानीपूर्वक तैयार करना होता है और कुछ विरासत, कुछ आस्था और कुछ स्मृतियां इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। यह भी ध्यान रखना चाहिए यही विरासत, आस्था और स्मृति जनता को विभाजित भी करती है। आडवाणी जी का यह पत्र लोकतंत्र में उसी विभाजन की प्रक्रिया को अवरुद्ध करने का एक प्रयास कहा जा सकता है।
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