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Wednesday, April 3, 2019

कांग्रेस का घोषणा पत्र

कांग्रेस का घोषणा पत्र

कांग्रेस ने मतदाताओं को लुभाने के लिए घोषणा पत्र जारी कर दिया है और इस घोषणापत्र में 52 विषयों पर 487 वादे किए गए हैं। साथ ही कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने वादा किया है इन सभी वादों को पूरा किया जाएगा। यदि यह घोषणाएं सचमुच पूरी की जाती है तो इससे सबसे ज्यादा लाभ देश के उन 5 करोड़ से ज्यादा गरीब परिवारों को मिलेगा जिन्हें हर साल 72000 रुपए दिए जाने की घोषणा की गई है। इसमें ग्रामीण स्तर पर लाखों नौजवानों को रोजगार देने, राफेल एवं भ्रष्टाचार के मामलों जांच कराने और अनुसूचित जाति-जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यकों  एवं महिलाओं के विकास के लिए कई कदम उठाने के आश्वासन दिए गए हैं। इसके साथ ही यह भी कहा गया है कि जम्मू कश्मीर में धारा 370 सहित उसकी संवैधानिक कोई बदलाव नहीं होने दिया जाएगा और देशद्रोह कानून खत्म कर दिया जाएगा।
       घोषणा पत्र पर अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली ने कहा कि घोषणा पत्र देश को तोड़ने का एजेंडा है। इसमें  नासमझी से ऐसे वादे किए गए हैं जिन्हें लागू नहीं किया जा सकता और "कुछ विचार" तो बेहद खतरनाक है जो देश को "बाल्कनीकरण" की ओर धकेल देगा। 
       कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र को जन आवाज़ का नाम दिया है । कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने घोषणा पत्र जारी किए जाने के बाद कहा कि केंद्र सरकार में 22 लाख पद खाली पड़े हैं अगर कांग्रेस सत्ता में आई 31 मार्च 2020 तक इन पदों में बहाली कर दी जाएगी। इसके अलावा देश की सभी ग्राम पंचायतों में 10 लाख नौजवानों को रोजगार मिलेगा। राहुल गांधी ने इस घोषणापत्र में देश के सभी वर्गों को साधने की कोशिश की है। उन्होंने कहा कि "मेक इन इंडिया" के तहत जो भी नौजवान उद्यमी बनना चाहते हैं उसे वर्तमान में कई विभागों से मंजूरी लेनी पड़ती है लेकिन कांग्रेस जब सत्ता में आएगी तो कारोबार करने की चाहत रखने वाले नौजवानों को 3 वर्षों तक किसी भी तरह की कोई मंजूरी लेने की जरूरत नहीं होगी। राहुल गांधी ने मनरेगा को 100 दिन से बढ़ाकर डेढ़ सौ दिन तक रोजगार देने का वादा किया है। उन्होंने वादा किया है कि शिक्षा के क्षेत्र में छह प्रतिशत खर्च किया जाएगा। इसके अलावा बड़े अस्पतालों में गरीबों के लिए कार्य योजना बनी है। उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस की सरकार सत्ता में आई तो किसानों के लिए अलग से बजट बनेगा और  कर्ज नहीं चुका पाने वाले किसानों को अपराध की श्रेणी से बाहर लाया जाएगा।
     कांग्रेस की सरकार बनने पर क्या प्रधानमंत्री राहुल गांधी होंगे इस सवाल का उत्तर देते हुए राहुल गांधी ने कहा यह देश की जनता तय करेगी। हिंदुत्व और राष्ट्रवाद की ओर प्रश्न का रुख करने पर राहुल का जवाब था कि देश में सभी हिंदू हैं और  बात हिंदू और मुसलमान पर नहीं बात बेरोजगारी ,राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति जैसे मामलों पर  होनी चाहिए। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बहस की चुनौती दी और कहा कि पीएम प्रेस से सीधी बात करने में कतराते हैं। केरल के वायनाड से चुनाव लड़ने का औचित्य बताते हुए राहुल गांधी ने कहा कि दक्षिण भारत में लोग सोचते हैं नरेंद्र मोदी सरकार में उनकी कोई हिस्सेदारी नहीं है इसलिए उन्होंने  तय किया कि वे उनका हिस्सा बनकर उनके साथ खड़े रहेंगे। जहां तक जहां तक कानून को खत्म करने की बात है उसके लिए जो संविधानिक आवश्यकताएं होती हैं, क्या कांग्रेस को चुनाव के बाद वह सब हासिल होगी?
        कांग्रेस घोषणा पत्र को ध्यान से देखा जाए तो कुछ घोषणाएं ऐसी हैं जैसे लगता है कि वह भी इंदिरा गांधी वाले हथकंडे अपना रहे हैं ,खासकर वह जिसे इंदिरा जी ने  इमरजेंसी के बाद अपनाया था- "गरीबी हटाओ" का नारा। बेशक पार्टी ने अपने घोषणापत्र में मुख्य रूप से देश की गरीबी को केंद्र बनाया है लेकिन एक प्रश्न है कि पार्टी ने उस समय यह सब क्यों नहीं किया जब वह सत्ता में थी। अच्छा होता कि पार्टी यह बताती कि वह अतीत में गरीबों को क्यों नहीं मदद कर सकी और भविष्य में ऐसी गलती नहीं होगी इसके लिए देश को आश्वस्त करती। लेकिन चुनाव घोषणा पत्र तो इस तरह के वादों के  दस्तावेज हैं और अपने देश की जनता कई सालों से बड़े-बड़े वादों को देख- सुन कर ऊब चुकी है। 

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