CLICK HERE FOR BLOGGER TEMPLATES AND MYSPACE LAYOUTS »

Tuesday, December 31, 2019

देश के पहले तीनों सेना के प्रमुख

देश के पहले तीनों सेना के प्रमुख

पुराना साल गुजर गया आज से नया वर्ष शुरू हो रहा है। गुजरे हुए साल में हमारे बीच कई घटनाएं हुईं कुछ अच्छी और कुछ बुरी भी। कुछ ऐसी भी जिसके बारे में सोच कर रोंगटे खड़े हो जाते हैं मन  भर जाता है और कुछ ऐसी भी जो संकेत देता है कि आने वाले दिनों में हमारा दिन कैसा होने वाला है या कैसा होगा।  हम वक़्त के इस आने और जाने  से  खुद को चिपका हुआ सा महसूस करते हैं। सोमवार की रात देश की इतिहास में एक ऐसी रात के रूप में दर्ज होगी जो कई वर्षों तक अपने निशान कायम रखेगी।  पहली बार तीनों सेनाओं के एक प्रमुख की नियुक्ति हुई और इस पद पर जनरल बिपिन रावत को प्रतिष्ठित किया गया। अमेरिका ने उन्हें इस पद के लिए बधाई दी है।
       हालांकि इस नियुक्ति के साथ यह नहीं बताया गया की जनरल रावत इस पद पर कितने दिनों तक बने रहेंगे। संशोधित सेना कानून के अंतर्गत हुए जो अवधि तय की गई है वह 65 वर्ष की उम्र पूरी होने तक की है। जनरल रावत मंगलवार को 62 वर्ष के हो रहे हैं। जनरल रावत का मुख्य कार्य थल ,सेना वायु सेना और नौसेना के बीच तालमेल बनाकर सेना के लिए खास करके ऑपरेशनल जरूरतों के लिए शीघ्र फैसला करना होगा। जनरल रावत को एनडीए सरकार द्वारा 2016 में नियुक्त किया गया था वे भारतीय थल सेना के 27 वें जनरल हैं और देश के कई बड़े ऑपरेशन की उन्होंने कमान संभाली है। अब वे सैन्य मामलों में सरकार के प्रधान सलाहकार के रूप में काम करेंगे और तीनों सेना के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करने का प्रयास करेंगे। जनरल रावत को भारत सरकार  का यह तोहफा उनके रिटायर होने से 1 दिन पहले मिला हाल ही में एक ऐतिहासिक निर्णय के तहत भारतीय कैबिनेट ने 4 सितारा जनरल रैंक में एक चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ का पद सृजित किया। भारतीय सेना के उप प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल मनोज मुकुंद नरवणे।  नए सेना प्रमुख बनाए गए। वह जनरल बिपिन रावत का स्थान देंगे लेफ्टिनेंट जनरल नरवणे ने भारतीय सेना के उप प्रमुख का  सितंबर में ग्रहण किया था इसके पहले वे सेना की पूर्वी कमान के प्रमुख थे। पूर्वी कमान फिर से लगी भारत की 4000 किलोमीटर लंबी सीमा की निगरानी करता है 37 साल के सेवाकाल में जनरल नरवणे ने सेना के कई दायित्व को संभाला है
      बांग्लादेश के युद्ध के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जनरल सैम मानेकशा को सीडीएस बनाना चाहती थीं। लेकिन नौसेना  और वायु सेना की तरफ से काफी विरोध हुआ उनका कहना था कि ऐसा करने से नौसेना और वायु सेना का कद घट जाएगा। हालांकि उनके फील्ड मार्शल बनाए जाने पर सहमति हुई और सीडीएस बनाए जाने का यह मामला   रुक गया ।तब उन्हें फील्ड मार्शल ही बनाया गया। उनका कार्यकाल 6 महीने बढ़ाया गया। क्योंकि वह जून 1972 में रिटायर होने वाले थे और जनवरी 1973 में यह रैंक उन्हें  दी  गई।
         हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सीडीएस के  पद के सृजन की घोषणा इस वर्ष स्वतंत्र दिवस के मौके पर की थी लेकिन इसके बारे में हां हां ना ना चल रही थी। यह उस दिन साफ हो गया जब जनरल रावत ने सी ए ए के खिलाफ प्रदर्शनों का नेतृत्व करने वाले लोगों की सार्वजनिक आलोचना की और इससे विवाद में घिर गए । लेकिन सरकार की तरफ से इसका कोई भी खंडन नहीं आया। हालांकि जनरल रावत की टिप्पणी पर विपक्षी नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं और पूर्व सैन्य कर्मियों की तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली थी। इस पद का सृजन मोदी सरकार द्वारा सुरक्षा मामलों के बारे में किए गए वायदों को पूरा करने की दिशा में एक है। यह 21वीं सदी में भारत को एक महाशक्ति बनाने की दिशा में उठाया गया कदम भी है ।


0 comments: