यह कहने का एक चलन है कि दुनिया बाजारवाद से नियंत्रित होती है लेकिन पिछले दो-तीन दिनों से यह देखने को मिल रहा है कि इंसानी हकीकत है और उसकी जरूरतें बाजार को घुटनों पर ला सकती हैं। बाजारवाद निस्सहाय सा दिखने लगता है। अभी गुरुवार की बात है कोरोना वायरस के भय से भारतीय बाजार सहित दुनिया भर के शेयर बाजारों पर कहर टूट पड़ा है। मुंबई स्टॉक एक्सचेंज सेंसेक्स 8.18% गिरकर बंद हुआ इसके कारण लगभग 12 करोड रूपये डूब गए। मुंबई स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध कंपनियों का बाजार पूंजीकरण 137.12 लाख रुपए से घट कर 125. 86 लाख पर बंद हुआ। अमेरिका, चीन, जापान, यूरोप सहित पूरी दुनिया के शेयर बाजार दिनभर लाल निशान के नीचे रहे। तेल की कीमत इस तरह गिरी कि कई तेलशाह देश बिलबिला उठे। ईरान ने 1962 के बाद पहली बार अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष से कर्ज मांगा है। भारत में भी इस बीमारी से मौतें होने लगी हैं। पहली बार गुरुवार को सऊदी अरब से लौटे एक बुजुर्ग की कर्नाटक में मौत हो गई। देशभर वायरस के संक्रमण के मामले बढ़ते जा रहे हैं। 6 नए मामले पकड़ में आए हैं। इनमें एक एक महाराष्ट्र , दिल्ली, लद्दाख, उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश में है। दिल्ली से छत्तीसगढ़ तक स्कूल-कॉलेज बंद कर दिए गए हैं। सिनेमाघरों पर रोक लगा दी गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को धैर्य धारण करने की सलाह दी है और आश्वासन दिया है इस सरकार इससे लड़ने के लिए पूरी तैयारी में है । मंत्रियों के विदेश दौरे पर रोक लगा दी गई है।
इससे पहले 2009 में स्वाइन फ्लू को महामारी घोषित किया गया था। विशेषज्ञों के मुताबिक स्वाइन फ्लू से कई लाख लोग मारे गए थे। जहां तक करोना वायरस का प्रश्न है इसका अभी तक कोई इलाज नहीं निकला है। इसलिए दुनिया भर के सामने इसके फैलने से रोकना सबसे महत्वपूर्ण है। अब हम अपने देश की बात करें। हमारे देश का कानून लगभग 123 वर्ष पुराना है और यह एक विचारणीय प्रश्न है कि इस कानून के माध्यम से इस बीमारी से कैसे निपटा जा सकता है। कर्नाटक ने इसी पुराने कानून के माध्यम से एक अधिसूचना जारी की है महामारी कानून 1897 नाम के इस कानून का इस्तेमाल विभिन्न स्तर पर अधिकारियों द्वारा शिक्षण संस्थाओं को बंद करने इसी इलाके में आवाजाही रोकने और मरीज के अस्पताल में पूरे इलाज की सुविधा देने की बात है। इस अधिसूचना को नहीं मानने वाले या इसका उल्लंघन करने वाले पर भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के तहत मुकदमा कराया जा सकता है। इसकी सजा 6 महीने की जेल या ₹1000 जुर्माना या दोनों है।
खबरों की अगर माने तो दुनिया भर में अभी तक इस वायरस से लाखों लोग संक्रमित हुए हैं लेकिन इससे व्याप्त आतंक को देखते हुए लगता है कि यहां आंकड़े बहुत सही नहीं है क्योंकि यह आंकड़े जितने ज्यादा फैलेंग उतने ज्यादा आर्थिक नुकसान होंगे। इनमें बाजार की कीमतें गिरने से लेकर रोजगार खत्म होने तक सब कुछ शामिल है। आर्थिक सहयोग और विकास संगठन के मुताबिक अगर दुनिया भर में घरेलू उत्पाद विकास में आधा प्रतिशत की गिरावट आती है तो इसका असर व्यापक होता है। जो यात्राएं रद्द किए जाने , कारखाने बंद होंगे ,आपूर्ति की कड़ियां टूटने और इस तरह की अन्य गतिविधियों में दिखाई पड़ेगी। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि अगर इस वायरस पर जल्दी काबू नहीं किया जा सका तो हम इस वर्ष शून्य विकास के मुकाबिल होंगे। हाथ धोने और दूरी बनाए रखने से ऐसा लगता है कि इसका संक्रमण थोड़ा धीमा हो जाएगा परंतु जो प्रसार अफवाहों के कारण हो जाएगा और जो उसका प्रभाव पड़ेगा उसे देखते हुए इस संक्रमण के धीमे प्रसार बहुत कम है । क्योंकि अभी पर्यावरण परिवर्तन, जल सुरक्षा, आपसी झगड़े, कृत्रिम इंटेलिजेंस तथा कई अन्य समस्याएं हमारा इंतजार कर रही हैं। इसके लिए जरूरी है कि हम अपनी छोटी ही सही सामूहिक भूमिका निभाएं और इसके प्रसार के आतंक को कम करने का प्रयास करें। डर या आतंक को कम करके इसका उपचार खोजने में सहयोग की जरूरत है वरना हम हाथ धोते रह जाएंगे और दूरियां बनाते रह जाएंगे बीमारी सिमट कर हम तक चली आएगी।
Friday, March 13, 2020
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
0 comments:
Post a Comment