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Wednesday, March 4, 2020

यह एक नई आपात स्थिति

यह एक नई आपात स्थिति 

बुधवार के अखबारों में भारत में खास करके उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों में करोना वाइरस के फैलने की खबर सुर्खियों में है। यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस स्थिति की  समीक्षा की है और इस बीमारी से निपटने में भारत की तैयारी पर भी चर्चा की है । अत्यंत तेजी से फैलने वाली यह छूत की बीमारी एक तरह से भारत के लिए नई आपात स्थिति है। लोग आतंकित हैं। विदेशियों के वीजे रोके जा रहे हैं। इसे देखते हुए प्रतीत हो रहा है यह बीमारी  प्रमुख चिंता का विषय है। सरकार ने 26 दवाओं के निर्यात पर रोक लगा दी है। प्रशासन सक्रिय हो गया है और इसके प्रसार को रोकने की पूरी कोशिश  चल रही है। यह जो कुछ किया जा रहा है सरकार की तरफ से उसमें सबसे प्रमुख है सार्वजनिक स्वास्थ्य। अगर वायरस फैल जाता है तो आम जनता को से कैसे बचाया जाए इसके लिए सरकार तैयारी में है। मंगलवार को आगरा में इस बीमारी से संक्रमित 6 मामले सामने आने के बाद अब कोई नहीं कह सकता है यह कहां जाकर रुकेगा। लेकिन दूसरे देशों में जैसा हुआ उससे पता चलता है कि जब तक भारतीय खुद को महफूज न कर लें तब तक यह बहुत दूर तक जा चुका रहेगा। इसके प्रसार को रोकने के लिए केंद्र सरकार को कुछ ऐसे उपाय करने चाहिए, कुछ ऐसी रणनीतियां बनानी चाहिए , जनता के लिए  स्पष्ट निर्देश  जारी किए जाने चाहिए जिससे लोगों में बेचैनी कम हो भय घटे। इसमें संचार और संपर्क महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
      जबसे चीन में पहली बार इस बीमारी का पता चला तो यह डर हो गया कि कहीं यह दुनिया में फैल न जाए। शुरू में ऐसा ही लग रहा था लेकिन धीरे-धीरे यह है बढ़ता गया और आज दुनिया के 70 देश इससे प्रभावित हो चुके हैं। कुछ देश एक दूसरे से ज्यादा प्रभावित हुए हैं। इटली ,दक्षिण कोरिया, जापान और ईरान इसके प्रभाव में बहुत ज्यादा है। इससे यह स्पष्ट हो रहा है कि दुनिया भर में सभी सरकारें अपने देशों में जन स्वास्थ्य को बढ़ावा दें और जन स्वास्थ्य किस खतरे का मुकाबला करें। भारत अपवाद नहीं है। कुछ लोगों का मानना है की गर्म जगह इससे बचाव की लिए  ज्यादा मुफीद हैं। हालांकि यह सही है कि ठंडे स्थान या कह सकते हैं कि ठंडे शहर में यह ज्यादा फैल रहा है। लेकिन यह सब बातें हैं केवल कहने की हैं। भारत की लुंज पुंज स्वास्थ्य व्यवस्था रोगी के लिए ज्यादा खतरनाक है। साथ ही व्यापक आबादी और अशिक्षा इसमें आग में घी की तरह है। अगर सरकार स्वास्थ्य सेवा में लगे लोगों के प्रशिक्षण के लिए प्रयास करती है और इसके लिए बड़े पैमाने पर अलग वार्ड तथा जांच की किट्स तथा बड़े पैमाने पर औषधियां खरीदती है एवं स्वास्थ्य ढांचे में व्यापक सुधार की तरफ तत्काल कदम बढ़ाती हैं  तो कुछ बात बन सकती है। क्योंकि यह छूत की बीमारी है और बहुत तेजी से फैलती है। किसी दूरदराज के इलाके में भी अगर यह बीमारी फैली तो सरकार को चेतने के पहले इसका रूप भयानक हो सकता है। यद्यपि इससे बचने के लिए भारत ने कई कदम उठाए हैं जैसे मुख्य और छोटे हवाई अड्डों और बंदरगाहों में स्क्रीनिंग करने का उपाय किया गया है। सोमवार को स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि कोरोना ग्रस्त 12 देशों से भारत आ रहे यात्रियों की हवाई अड्डे पर ही जांच हुई। शुरू में चीन, सिंगापुर ,थाईलैंड, हांगकांग, जापान, दक्षिण कोरिया इत्यादि के यात्रियों की स्क्रीनिंग हो रही थी अब वियतनाम, इंडोनेशिया, मलेशिया, ईरान ,इटली और नेपाल से आ रहे यात्रियों की भी  हो रही है।
       कुछ देशों में जैसे ही यह बीमारी फैली तो उन्होंने  इसके रोकथाम के लिए तत्काल कदम उठाए और इसके प्रसार को काबू कर लिया गया। आज सरकार उनसे सबक ले सकती है। उदाहरण के लिए सिंगापुर में जो कदम उठाए गए वह मिसाल है। जैसे ही एक मामला सामने आया इसमें व्यापक तौर पर निगरानी और उसकी खोज के लिए कदम उठाने शुरू कर दिए। लेकिन शायद भारत में ऐसा संभव नहीं है। क्योंकि भारत का आकार और इसकी आबादी सिंगापुर से बहुत ज्यादा है। लेकिन वहां जो अनुकरणीय था वह था कि वहां की आम जनता एवं व्यापारियों को सलाहकार समूह में रखा गया एवं सूचनाएं हमेशा अद्यतन रहीं। इसके साथ ही इसके प्रति सुरक्षा एवं बचाव के लिए समुचित कदम उठाए गए। जिससे आर्थिक क्षति कम से कम हो और बीमारी से रोकथाम ज्यादा से ज्यादा हो। बुनियादी सिद्धांत तो दोनों देशों में एक ही हैं। सरकार को इसके लिए जनता को विश्वास में लेना चाहिए और लोगों तक पहुंचने का प्रयास करना चाहिए। यह बीमारी अगर फैलती है तो आर्थिक मोर्चे पर एक नई चुनौती होगी। चीन में  इसके फैलने की वजह से  आयात और निर्यात बुरी तरह प्रभावित हुआ है।   एपीआई या कच्चा माल का आयात ना होने  की वजह से  कई कंपनियों की दवाओं की उत्पादन में कमी कर दी गई है।  जिसका प्रभाव आने वाले दिनों में  दवाओं की वैश्विक आपूर्ति पर दिख सकता है। भारत सरकार के  वाणिज्य विभाग  से समर्थन प्राप्त ट्रेड प्रमोशन काउंसिल आफ इंडिया  की एक रिपोर्ट के मुताबिक  पिछले वर्ष  यानी दो 2018 -19 में  भारत से  दवाओं का  अनुमानित निर्यात  19 .14 अरब डॉलर था इन दवाओं को बनाने के लिए करीब 85% कच्चा माल चीन से आयात किया जाता है। भारत में इसका उत्पादन बहुत कम है। जो भी कच्चा माल भारत में बनता है उसे अंतिम स्वरूप देने में भी कुछ अन्य माल की जरूरत पड़ती है। उसका आयात चीन से किया जाता है इस वायरस के  प्रभाव की वजह से  कच्चे माल के आयात पर असर पड़ा है। चीन से आपूर्ति बंद होने की वजह से भारत में दवा बनाने वाली कंपनियों को  कच्चा माल ऊंची कीमत पर खरीदना पड़ रहा है। इससे  दवाओं की कीमत  में  10 से 15% वृद्धि हो गई है । भारत पहले से ही उससे उबरने की कोशिश कर रहा है। इसलिए भी जरूरी है कि सरकार आम जनता, चिकित्सकों और हर क्षेत्र के गिने-चुने व्यापारियों को लेकर एक निगरानी समिति बनाए और इस बीमारी के रोकथाम के लिए प्रयास शुरू कर दे।


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