प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के नाम अपने संबोधन में कहा कि "हम स्वस्थ तो जग स्वस्थ।" उन्होंने कोरोना से मुकाबले के लिए खुद पर संयम बरतने और सोशल डिस्टेंसिंग की सलाह दी। उन्होंने जनता से अपील की कि वे "जनता कर्फ्यू लगाएं।" प्रधानमंत्री ने देश की जनता से कहा कि उन्होंने अब तक देश से जो कुछ मांगा है वह मिला है और अब बस एक ही अनुरोध है कि जनता पूरे देश में एक दिन 22 मार्च को दिन भर के लिए जनता कर्फ्यू लगाए। इस दौरान सब लोग अपने अपने परिवार के बीच रहें और कहीं नहीं जाएं। साथ ही शाम 5:00 बजे अपने घर के बाहर खड़े होकर तालियां, थालियां और सीटियां इत्यादि बजाकर लोगों को संकेतों से एकजुट होने का संदेश दें। यह कार्य 5 मिनट तक करना है। एकजुटता के लिए और समान लक्ष्य की प्राप्ति के लिए इस किस्म का प्रयोग अभिनव है। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह जनता का साहस आगे बढ़ाएगा और बताएगा इस किस्म की वैश्विक महामारी से लड़ाई के लिए भारत कितना तैयार है और उस तैयारी को देखने परखने कर भी समय है।ऐसे समय में हमें 1899 बंगाल में आए प्लीज के दौरान स्वामी विवेकानंद के प्लेग मेनिफेस्टो याद करना चाहिए। यह मेनिफेस्टो हमें मनोवैज्ञानिक तौर पर समस्याओं से लड़ने की शक्ति प्रदान करता है इस मेनिफेस्टो में स्वामी जी का कहना है "भय से मुक्त रहें क्योंकि भय सबसे बड़ा पाप है। सदा मन को प्रसन्न रखें । मृत्यु तो अपरिहार्य है उससे डरना क्या? कायरों को मृत्यु का डर सदा सताता है। उन्होंने इस डर को दूर करने का आग्रह किया। अपनी कमर कस लें और सेवा कार्य क्षेत्र में प्रवेश करें। हमें शुद्ध और स्वस्थ जीवन चाहिए रोग महामारी का डर आदि ईश्वर की कृपा से विलुप्त हो जाएगा।"
प्रधानमंत्री ने कहा संपूर्ण विश्व इस समय संकट के गंभीर दौर से गुजर रहा है आमतौर पर कोई संकट जैसे प्राकृतिक आपदा यह इस तरह की महामारी आती है तो वह विश्व के किसी एक ही क्षेत्र में केंद्रित रहती है और उसका प्रभाव भी कमोबेश उसी क्षेत्र में पड़ता है लेकिन कोविद 19 नाम की इस महामारी ने पूरी दुनिया को लपेट लिया है पूरी मानव जाति संकट में है।
प्रधानमंत्री ने राष्ट्र के नाम संबोधन में भारत के 130 करोड़ लोगों से कहा कि विगत 2 महीनों में उन्होंने इस वैश्विक महामारी का डटकर मुकाबला किया है। आवश्यक सावधानियां बरती है । लेकिन, पिछले कुछ दिनों से ऐसा लग रहा है कि हम थोड़े ढीले हो गए । हम संकट से बचे हैं। सब कुछ ठीक है। प्रधानमंत्री ने लोगों से अपील की यह सब कुछ ठीक है का भाव सही नहीं है प्रत्येक देशवासी को से सजग रहना होगा और सतर्क रहना होगा अभी तक इस महामारी से बचने की कोई दवा नहीं निकली है और ना ही इसका कोई टीका निकला है और बीमारी का संक्रमण तेजी से फैल रहा है प्रधानमंत्री ने कहा कि हम इस फैलाव पर नजर रखे हुए हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें और हमारे देशवासियों को अपना संकल्प और मजबूत करना पड़ेगा । यह हमारा कर्तव्य है और इस कर्तव्य का पालन करना ही होगा प्रधानमंत्री ने घर से ही काम करने की सलाह दी और यह भी सलाह दिया रूटीन चेकअप के लिए अस्पताल जाने से बचें।
प्रधानमंत्री ने देश की जानकारी दी की इस महामारी से उत्पन्न मुश्किलों और समस्याओं के कारण बढ़ रही आर्थिक चुनौतियों पर नजर रखने के लिए वित्त मंत्री के नेतृत्व में एक इकोनामी रिस्पांस टास्क फोर्स का गठन किया गया है। वह इस बात पर नजर रखेगा कि आर्थिक मुश्किलों भूख कम करने के लिए जो कदम उठाए गए हैं उन पर आगे काम हो रहा है कि नहीं। प्रधानमंत्री ने साफ कहा इस दौरान खाने-पीने की वस्तुएं दूध दवाएं इत्यादि जरूरी चीजें पूरी तरह उपलब्ध हो और इसके लिए कोई कमी ना हो इस उद्देश्य की पूर्ति की जा रही है। सभी तरह के उपाय किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश में लॉक डाउन की अफवाह उड़ाई जा रही है लेकिन इससे घबराने की जरूरत नहीं है सभी वस्तुएं जिस तरफ से उपलब्ध थी उसी तरह से उपलब्ध रहेगी।
लेकिन प्रधानमंत्री के इस संबोधन के बाद बाजार का रुख नहीं बदला और लोगों के भीतर "पैनिक बाइंग" की बढ़ती प्रवृत्ति देखी देखी जा रही है । प्रधानमंत्री का आश्वासन निसंदेह हिम्मत बढ़ाने वाला है लेकिन बाजार की हकीकत दूसरी दिखाई पड़ रही है। प्रधानमंत्री ने देश को पूरी तरह से आश्वस्त करने की कोशिश तो जरूर की है लेकिन यह कोशिश कहां तक पूरी होगी यह आने वाला समय बताएगा।
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