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Tuesday, March 17, 2020

आदतें बदल देगी यह महामारी

आदतें बदल देगी यह महामारी

कोरोना वायरस से आक्रांत स्थितियों को देखकर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पिछले हफ्ते इसे एक महामारी घोषित की है। उसके बाद दुनिया के सभी देशों में भीड़ में जाना आना मना कर दिया गया है। भारत में स्कूल कॉलेज इत्यादि इस महीने के आखिर तक बंद कर दिए गए हैं। पश्चिम बंगाल में तो यह छुट्टी 15 अप्रैल तक घोषित कर दी गई है । यह एहतियातन किया गया है। हालांकि दुनिया के 118 देशों में इस महामारी के संक्रमण को पाया गया है जिस में सबसे आगे इटली, स्पेन, फ्रांस और अमेरिका हैं। जिन देशों मैं आवाजाही कम है जैसे भारत और मिस्र वहां इसका संक्रमण थोड़ा कम है। लेकिन बहुत ज्यादा कम नहीं। आज के राजनीतिक नेताओं को शायद ऐसे वाकये से कभी पाला नहीं पड़ा है या कुछ ने इस तरह है हालात देखे होंगे। क्योंकि संभवत यह पहला अवसर है जब महामारी का असर अर्थव्यवस्था पर भी पड़ रहा है । अभी तक यह निश्चय नहीं हो पाया है की इसके रोकथाम के लिए अचूक मेडिकल उपाय क्या क्या हैं। सारे कदम केवल सावधानी के लिए उठाए जा रहे हैं। पूरी दुनिया के डॉक्टर , वैज्ञानिक तथा उपचार  करने वाले सब के हाथ-पांव फूल रहे हैं। बेशक इस किस्म की महामारी एक वैश्विक समस्या है और इसके उपचार प्रोटोकॉल, औषधियां इत्यादि पर सामूहिक रूप से काम होना चाहिए।
          कोरोना वायरस की वजह से कारोबार ठप पड़ गए हैं। कई देशों में अंतरराष्ट्रीय यात्राएं रद्द कर दी गई है। कई जगहों पर होटल , रेस्तरां इत्यादि बंद कर दिए गए हैं या फिर लोग  उनमें जाने से बच रहे हैं। कई कंपनियां खासतौर पर आईटी सेक्टर की कंपनियां अपने स्टाफ के लोगों को वर्क फ्रॉम होम सुविधा दे रही हैं। जिन लोगों पर वायरस पीड़ित होने का शक है उन्हें बाकी लोगों से अलग थलग रखा जा रहा है। भारत में पहले  से चल रही है आर्थिक   सुस्ती  में करोना के दस्तक ने और मुश्किल में डाल दिया है। इससे आने  वाले वक्त में लोगों की आवाजाही या सामाजिक मिलन जैसी आदतों  में भी बदलाव आने की संभावना है। इस बीमारी ने हमारे समाज के  सोचने के ढंग को बदलना आरंभ कर दिया है। यहां तक कि अर्थव्यवस्था के कई सेक्टरों में भी बहुत सी चीजें बदलने वाली हैं और हो सकता है बाद में यह बदलाव स्थाई रूप ले ले। फिलहाल आईटी सेक्टर को छोड़कर किसी भी क्षेत्र में वर्क फ्रॉम होम की सुविधा मुश्किल है। लेकिन जब से इस वायरस का संक्रमण घातक हुआ है तब से कंपनियों ने अपने काम करने के ढंग में बदलाव लाना शुरू करसे दिया है। मैन्युफैक्चरिंग को छोड़कर शायद सभी क्षेत्रों में यह बदलाव देखने को मिलेगा। इससे लोगों के आवागमन आदतें बदलेगी। लोग सार्वजनिक परिवहन प्रणाली में आने जाने से खुद को रोकेंगे। 2003 में सीवियर एक्यूट रेस्पिरेट्री सिंड्रोम (सार्स) और 2012 में मिडिल ईस्ट रेस्पिरेट्री सिंड्रोम (मर्स) से मिले सबक को हमने याद नहीं रखा। जबकि यह करोना से बड़ी बीमारियां थीं। जहां तक बदलाव कालेकिन प्रश्न है उसमें जो भी बदलाव आए वह पूरी तरह रिसर्च और नीतिगत स्तर पर आधारित होना चाहिए। भारत जैसे विशाल देश में लोगों को सार्वजनिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम लागू करना एक बात देता है अब उनमें साफ सफाई इत्यादि पर ज्यादा ध्यान दिया जाएगा। पढ़ाई का तरीका बदल सकता है और इसके तहत वर्चुअल क्लासेस शुरुआत हो चुकी है। तमाम स्कूल कॉलेज भी भविष्य में ऐसा कर सकते हैं। खानपान और व्यक्तिगत हाइजीन की आदतें भी बदल सकती हैं और उनमें बदलाव दिखाई पड़ने लगा है।
       विभिन्न  मांगों के लिए किये जाने वाले प्रदर्शन थी अब बंद हो सकते हैं।  देश में सीए ए और एनआरसी के विरुद्ध चल रहे प्रदर्शनों खासकर शाहीन बाग जैसे प्रदर्शन को अब बंद कर दिया जाना चाहिए। अगर प्रदर्शनकारी नहीं बंद करते हैं तो सरकार को मजबूत हाथों से इसे सार्वजनिक स्वास्थ्य को देखते हुए बंद कर देना चाहिए। जो लोग ऐसे प्रदर्शनों को हवा दे रहे हैं वह समाज के दुश्मन कहे जा सकते हैं । क्योंकि शाहीन बाग के धरने से प्रेरित होकर लखनऊ, पटना ,बेंगलुरु और कोलकाता में भी धरने चल रहे थे। कुछ लोगों ने इसे फैलाना अपना कर्तव्य मान लिया था। इसलिए उन पर दबाव पड़ना चाहिए की वे इन धरनों को रोकें। क्योंकि मानव समाज को भारी खतरा है। यही नहीं हमारे देश में पर्याप्त संख्या में लोगों की जांच नहीं कर बहुत बड़ी गलती की जा रही है। करोना वायरस से लड़ने के तौर-तरीकों को देखते हुए कई स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने इस तरह की चेतावनी दी है। वर्तमान में हजारों की संख्या में लोग संक्रमित हो सकते हैं जिसे कम्युनिटी ट्रांसमिशन के नाम से जाना जाता है और हमें यह पता ही नहीं है यह संक्रमित कई हजार लोगों को भी संक्रमित कर रहे हैं। इस वायरस से लड़ने में दक्षिण कोरिया की सफलता का श्रेय बड़ी संख्या में  जांच को जा सकता है। भारत सरकार को भी चाहिए कि वह जल्दी से जल्दी जांच की व्यापकता को बढ़ाए। वरना कारण चाहे जो हो बड़ी संख्या में अगर घरों से बीमार निकलेंगे तो इसका दोष सरकार पर ही जाएगा।


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