कोरोना का प्रसार बढ़ता ही जा रहा है और यह भारत में स्टेज- 2 पर पहुंच चुका है। पश्चिम बंगाल में भी इसका असर पाया गया, कोलकाता में भी इसका एक मरीज पाया गया है। लेकिन वह नेटिव नहीं है बल्कि इंग्लैंड से लौटा हुआ है। संभवत वह वहीं से इसकी छूत लेकर आया है। लेकिन इस पर नजर रखने वालों का कहना है कि अब भी भारत में दूसरे देशों की तुलना में कम फैला है। इस कम प्रसार का सबसे बड़ा कारण है सरकार की सचेतनता और गंभीर प्रयास। प्रधानमंत्री मोदी ने ना केवल मेडिकल स्तर पर इसके खिलाफ अभियान चलाया बल्कि देश के लोगों में जागरूकता पैदा की। बचाव के उपायों का प्रसार किया तथा कूटनीतिक स्तर पर भी इसके रोकथाम के लिए प्रयास किए। वरना दुनिया भर में इस सूक्ष्म वायरस का दानवी प्रसार तो भयानक होता जा रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार दुनिया के 158 देशों में इसका प्रसार हुआ है जहां
5500 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें इटली में 368 ईरान में 245 और स्पेन में 152 लोग शामिल हैं। दुनिया भर में कुल मिलाकर लगभग दो लाख लोग इससे प्रभावित हुए हैं। हो सकता है जब तक आप इसको पढ़ें तब तक और लोगों की मौत हो जाए या कुछ और लोग इससे संक्रमित हो जाएं ।
इस वायरस के प्रसार की गति और इससे उत्पन्न भय को देखते हुए ऐसा लगने लगा है कि दुनिया के कुछ देश ठप होने के कगार पर पहुंच गए हैं। क्या दुनिया के कई देशों को क्वॉरेंटाइन करने की नौबत आ सकती है। यह तो महामारी घोषित हो चुका है और भारत में भी कई प्रांतों में इसे महामारी घोषित किया जा चुका है। एक छोटा सा वायरस दुनिया की महाशक्तियों के आगे एक बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। पब्लिक हेल्थ सिस्टम या कह सकते हैं लोक स्वास्थ्य व्यवस्था भारी दबाव में है। यही नहीं इससे मुकाबले के लिए दुनिया भर में जो फंड तैयार किया है वह कम है। इसका अंदाजा सिर्फ शेयर बाजार के गिरने से नहीं लग सकता बल्कि पहले से सुस्त चल रही अर्थव्यवस्था में यह गिरावट भयंकर तबाही ला सकती है।
लेकिन भारत में इसका प्रसार अभी भी कम है। इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मीडिया और डॉक्टरों की पीठ ठोकी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन को मोदी का यह काम पसंद आया। भारत में सुरक्षा के मद्देनजर पचासी ट्रेनों का परिचालन रद्द कर दिया गया है साथ ही अफगानिस्तान, फिलिपिंस ,मलेशिया से आने वाले यात्रियों के प्रवेश पर तत्काल पाबंदी लगा दी गई है। इन देशों से कोई भी विमान भारत के लिए उड़ान नहीं पड़ेगा।
अब यहां यह गौर करने लायक है कि भारत में आखिर संक्रमण इतना कम क्यों हुआ? विशेषज्ञों का मानना है कोरोना वायरस टेस्ट को लेकर भारत काफी गंभीर है और लगातार गंभीर होता जा रहा है। सवा अरब से ज्यादा आबादी वाले इस देश में जांच और उपचार के केंद्र लगातार बढ़ाए जा रहे हैं कह सकते हैं कि सरकार इस बदलती स्थिति के अनुसार अपनी नीतियां बड़ी तेजी से बदल रही हैं। देश-विदेश से लेकर हर मामले पर नजर रखी जा रही है इसके लिए एक कोऑर्डिनेटर नियुक्त किया गया है। सरकार के अनुसार मध्य पूर्व एशिया के लोगों के लिए कोई नीति तय नहीं है। हर दिन लोग वहां से आ रहे हैं और नई नई चीजें सामने आ रही है। सरकार ने सुझाव दिया है कि जनता को पैनिक में आने की कोई जरूरत नहीं है। सभी राज्यों के लिए निर्देश तैयार किए जा चुके हैं और उन्हें लागू किया जा रहा है। फिलहाल 72 आईसीएमआर प्रयोगशालाएं काम कर रही हैं। इस महीने के आखिर तक 49 और प्रयोगशालाएं खुल जाएंगी ताकि लोगों को जांच कराने में सुविधा मिले। आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ बलराम भार्गव के अनुसार देश में दो उच्च तकनीक से सुसज्जित प्रणालियों पर भी काम हो रहा है जो तेजी से परीक्षण करने वाली प्रयोगशाला में हैं। इनका संचालन दो स्थानों पर किया जाएगा। इन प्रयोगशालाओं में 1400 नमूनों का रोज परीक्षण किया जा सकता है। आईसीएमआर के महामारी और संचारी रोग के प्रमुख रमन आर्यन गंगाखेड़कर के अनुसार जांच क्षमता कोई मुद्दा नहीं है क्योंकि भारत में वर्तमान 52 प्रयोगशालाओं में प्रतिदिन 10,000 नमूनों की जांच 60,000 जांच के उपकरण उपलब्ध हैं और अतिरिक्त दो लाख किट के आदेश दिए गए हैं । इस रोग से ज्यादा भयभीत होने की अब जरूरत नहीं है सरकार ने जो भी तैयारियां की हैं उसकी मदद से इस बीमारी से निपटा जा सकता है।
Wednesday, March 18, 2020
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