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Tuesday, December 13, 2016

व्यंग्य : महानता की सीढ़ी है सेल्फी

व्यंग्य : महानता की सीढ़ी है सेल्फी 
भारत की महानता हमारे देश भारत के नेताओं पर निर्भर करती है या यों कहेंकि उनहीं के कंधों पर रहती है।… और ये महान नेता पैदा नहीं होते , बल्कि किसी महान टाइटिल से पैदा होते हैं। जैसे गांधी , नेहरू या कुछ और। पैदा लेने के बाद भीतर के घोटाले तथा करप्शन के प्रसंस्करण के साथ धीर धीरे महान होते रहते हैं। धरे जाने और बेदाग बरी होते जाने के बीच उनकी महानता गंबीर होती रहती है। पुराने जमाने के नेता घोटाले की विलासिता से दूर रहते थे और जनता का काम करके महान बनते थे।  यही नहीं जनता का काम करने के दौरान उनकी भूषा बी कुछ अलग होती थी जिससे सबके बीच वे पहचाने जा सकें। जैसे गांधी जी एक ही दोती पहनते ओढ़ते थे और सबको बताते थे। नेहरू जी ने तो नेहरू जैकेट ही चला दिया , नेताजी का गोल चश्मा , जो कोलकाता के मुहल्लों के जर्ठ मोशाय के बीच आज भी पोपुलर है, ने उन्हें अलग पहचान दे दी। जिस तरह राजनीतिक दलों का एक चुनाव चि।नह होता है हमारे नेताओं के भी कुछ वैसे ही ​चिनह हैं जैसे आज के महानतम नेता देवाधिदेव तुल्य मोदी जी के महंगे कोट और सेल्फी की विचित्र स्टाइल। यही नहीं, संसद या विदान सभाओं में चीखने ​चिल्ला कर बी यू एस पी हासिल की जाती है। कुछ नेता खुद को ‘केटल क्लास’ से दूर रख कर इक अजीब अभिजात्य इमेज बनाकर भी यू एस पी हथियाने के जुगाड़ में लगे रहते हैं। कुछ नेता अपनी टोपी, मफलर या रथों सेबी मशहूर होकर जनता के दिलों में प्रवेश कर लेते हैं। अब ऐसे में जहां नेता अपनी एक्टीविटी से महान बनने की कोशिश में रहता है वहां आपको मोदी जी की सेल्फी से क्या दिक्कत है? जब आपको लगे कि लोग आपको देख रहे हैं तो आप भी जेब से फोन निकालिये और सामने करके भीड़ में शामिल किसी सुंदरी को फ्रेम में अपने साथ रखते हुये क्लिक कर दें। देखिये कि सेल्फी का शौक लत में बदलने और उसे अपने लाभ के लिये इस्तेमाल करने में महारत हासिल करने के लिये तो बाई साहब आपको नमो के तरह होना होगा। दुनिया के कितने देश यह ताल ठोंक कर कह सकते हैं कि उनके पी एम या प्रेसीडेन्ट न केवल देशों के साथ सम्बंध स्थापित करते हैं बल्कि उनकी माताओं के साथ सेल्फी भी ले लेते हैं। अब अगर आप किसी ऐसे देश का नेतृतव कर रहे हैं जहां नौजवानो की आबादी दुनिया में सबसे ज्यादा हो तो कोई बी नता चूड़ीदार पाजाम ओर बंद गले के कोट से नौजवानों के दिलों को गरमा नहीं सकता। खासकर तब जबकि वह अच्छे दिनों का वादा कर रहा हो। हमारी तरह आदमी जब कहीं मीटिंग सेमिनार जाता है तो एक दो मूमेंटो वह भी मेड इन चाइना का लेकर लौटते हें और वो हैं कि कई कई बेशकीमती यादें लेकर लौटते हैं। वे सारी यादें उनके फोन में कैद रहतीं हैं। यह तो हमारे नेता ही जानते हैं कि कब सेल्फी लेनी है। यहां तक कि चीन के नेता ली केजियांग जो कभी मुस्कुराते भी नहीं हैं मोदी जी की सेल्फी सुलभ बाल चुहल पर हंस पड़ा था और इसी क्रम में सेल्फी में कैद हो गया। अगर कोई दूसरा होता तो ली महोदय उसे अरुणाचल का गलत नक्शा पकड़ा देता और कहता कि कश्मीर भारत से अलग है।लेकिन सेल्फी ने इसे धो दिया। यही नहीं जो इंडियन लोग इस देश में पैदा होने को लेकर शर्मिदा हैं वे अपने जिग्नेश, कल्पेश या परितेष नाम को केन , जेन य पेरी रख लेते हैं। यह उन्हें थोड़ा आराम बोध तो कराता ही है और नेता बनने की ओर ठेलता है। 

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