व्यंग्य : होशियार जमाना भक्ति का है !
इन दिनों बड़ा अजीब वाकया या वाकयात हो रहे हें। कुछ पढ़े लिखे लोगों ने सोशल मीडिया पर किसी खास नेता की प्रशंसा में कीर्तन गाते नजर आ रहे हैं ओर उस कीर्तन को सुनकर यीद कोई माथ नहीं नवाता है तो समझ लें कि वह देशद्रोही हो जाता है। देश ना हुआ अजीब किस्म का देवस्थल हो गया, जहां जाने के पहले आपको पूरी तरह भगत होने का मेकओवर करना पड़ेगा। पत्तकारों पर तो खासी पाबंदियां हैं कि और जो लोग मन मानस मंदिर में स्थापित देव के द्वार पर माथ नहीं नवाते उन्हें जयचंद कहा जाता है। अब तो भाई अपने तो इतिहास के डर से ही कांपते थे और यह पता लगाने में लम्बा समय लगा कि जयचंद साहब कौन हैं। पहले तो समझा कि किसी जे. चंद का नाम होगा। लेकिन बात गलत हो गयी। एक बंगाली बाला से पूछा कि मोतरमा यह जयचंद क्या बला है तो उन्होंने मोहतरमा को ‘मेहतर मा’ समझ लिया और इतना बवाल किया कि पिटते पिटते बचा। उन्होंने नाम को और बना दिया यि यह गुस्ताख जॉय चांद के बारे में पूछ रहा है। हम क्या जाने। बड़ी मुश्किल से एक डाक्टर साहब मिले जो इतिहास में दिलचस्पी का दावा करते थे उनसे पूच तो वे लगे बताने कि उनका अधिकार साहित्य मेंहै इतिहास में नहीं। अब मैने मान लिया कि ये जयचंद साहब कुछ दूसरी प्रजाति के इतिहास पुरूष हैं जो कभी बारत भूमि से पास किये होंगे। खैर इतना तो समझ गया कि यह संज्ञा से विशेषण बना कोई ऐसा शब्द है जिसका अर्थ सही नहीं होता कुछ इनसल्ट विनसल्ट का होगा। खैर तो मैं कह रहा था कि जो लोग कीर्तन केंद्रित देव का विरोध करते हैं और खबरिया प्रजाति के हैं तो उन्हें इसी विशेषण से मंडित किया जाता है। अब सवाल उठता है कि वे लोग जो जयचंद नहीं हैं वे क्या हैंदेशभक्त मान लें तो उनको कैसे पहचानेंगे आप। इसके लिये मैने काफी शोध करके कुछ पहचान तय किया है। मसलन जो अपनी हर अबिव्यक्ति से देव की भक्ति का अहसास कराये। जो नोटबंदी की पशस्ति में लम्बे लम्बे लेख लिख मारे और उसे जबरन पढ़वाये और नहीं पढ़ने वाले को जयचंद घोषित कर दे। यही नहीं जो पाकिस्तान पर इतने हमले करे कि उनका रिकार्ड देख कर फौजी बी बेहोश हो होते होते बचे। यहां सावधानी यह है कि उसे बेहोश होते होते बचना होगा अगर खुदा ना खास्ते वह बेहोश हो गया तो समझों कि उसकी फोटे चढ़ गयी सोशल मीडिया पर और अब लिखो जय हिंद जो जय हिंद ना लिखे वह जयचंद। यही नहीं , जिनके अनुसार देश बुरी तरह तरक्की कर रहा है। ऐसे ऐसे आंकड़ें सामने आयेंगे कि आप उन्हें चुनौती नहीं दे सकते और इसकी गारंटी है कि आप उसे समझ भी नहीं सकते। लेकिन अगर कह दिया कि आप उसे समझते नहीं हैं तो आपकी समझदानी की ऐसी तैसी। देवाधिदेव गणेश जी इस कलिकाल में इस मृत्युलोक में आकर दूध पी गये और आपको बात जंची नहीं तो आपने सवाल उठाया और सुरक्षित रह गये। लेकिन देवाधिदेव मनमानस के देवता के 56 इंच के सीने को अगर मिलीमीटर के दसवें हिस्से तक भी शंका जाहिर की तो आप वही हैं। अगरड बार मैंने सवाल उठाया था तो एक डाक्टर साहब पिल पड़े ,कहने लगे राणाप्रताप जंगलों में घास की रोटी खाते थे और आप जैसे लोग अकबर को महान बना गये। मैंने कहा कि हुजूर चित्तौड़ रेगिस्तान में हुआ करता था और वहां घास की अवेलिबिलिटी इतनी थी क्या कि बखुदा प्रताप भी खाते थे वही डिश उनका घोड़ा भी खाता था। यकीनन घोड़ा तो बिरियानी खाता नहीं होगा। बड़े समन्वयकारी थे भाई। अगर आपने कह दिया कि उनके मनमानस के देव सांस में कार्बन डाई आक्साइड छोड़ते हैं तो यह आपका दुस्साहस है। आप क्षमा योग्य नहीं हैं। ये वे लोग जो आपसे कहेंगे चीनी सामान ना खरीदें लेकिन सरकार को सलाह देंगे कि चीन से धंधा बंद ना करें। यह तो वही मसल हुई कि चोर से कहो चोरी करो और कोतवाल से कहो कि पहरा देते रहो। दोनो कार्य इसी कलिकाल में संभव है। नोटबंदी के बाद ए टी एम की लाइन में एक आदमी मरता है और आप उसकी चर्चा करते हैं तो आप मनमानस के उस देव पर आक्षेप कर रहे हैं और जवाब मिलेगा कि वह वहां नहीं मरता तो दूसरी जगह मरता। मरना तो तय था। तैयारी चल रही है ओर सिनेमाघरों में ऐसे कीर्तनीये पहरा देंगे और अगर आप मूवी देखने लेट से आये तो आरोप लगेगा कि आपने जानबूझ कर राष्ट्रगान को अवाएड किया और अगर भीतर हैं और अटेनशन की मुद्रा में खड़े नहीं हुये तो आपने राष्ट्र का अपमान किया और फिर जय श्री सीता राम , जनता आपकी धुनाई की मूवी देखेगी। इस लिये भाई साहब होशियार , जमाना भक्ति का है।
Monday, December 5, 2016
व्यंग्य :होशियार! जमाना भक्ति का है
Posted by pandeyhariram at 7:34 PM
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