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Sunday, December 11, 2016

व्यंग्य : नोटबंदी के साइड इफेक्ट

व्यंग्य : नोटबंदी के साइड इफेक्ट 

नया महीना मोटा मोटी एक तिहाई से ज्यादा कु निकल गया और नये वर्ष की दस्तक सुनायी पड़ने लगी है। सर्दियों की छुट्टियां हो गयी स्कूलों में बच्चे मस्त हैं और नोटाभाव के कारण मम्मी पापा पस्त है। अपनी जेब में नोटबंदी के काहरण दम नहीं और बाजार में दम नहीं कि उधार दे। कुछ सेठ पकड़े गये और कुछ खौफ से बेहोश हो गये इसलिये सेठ लल्लु लाल केजरीवाल , दमड़ी लाल गुटगुटिया वगैरह से भी उधार मिलने के चांसेज भी खत्म हो गये। मममी की गुल्लक इत्यादि का तो सर्च आपरेशन कबका पूरा हो गया है। जबसे नोटबंदी की घोषणा हुई है तबसे लस्टम परिवार कंपा कंपा रहा है। शुरू में तो हम सपरिवार चारों तरफ यह कहते फिर रहे थे कि क्या चौका मारा है मोदी जी ने एकदम सारे कालेधन वालों को गेंद के साथ बाउंट्री के बाहर फेंक दिया। अब सारा देश लटपट नोटों से लोटपोट हो जायेगा , बोरियां तिजोरियां खाली हो जायेंगीं। आम आदमी को अपने आम होने पर गर्व होने लगा ओर अचानक खुद को महंगा अंगूर समझने लगा। सेठों को अछूत समझने लगा। क्या मोदी जी ने मारा है कि एक ही झटके में सारे शास्त्र उलट गये। हमारे थ्षि मुनि कहते थे कि शरीर चला जायेगा माया यहीं रह जायेगी। मोदी जी ने उन संतों की बोलती बंद कर दी। भाई साहब माया चली गयी और शरीर रह गया। बड़े बड़े साहूकारों को देखा कि वे ब्याज लेने के बजाय कमीशन देकर रुपया खपा रहे थे। जिन लोगों ने बरसों से उधार लिये पैसे कभी लौटाने की नहीं सोची थी, वे भी स्वयं रकम लौटाने की पहल करने लगे। कलिकाल के इतिहास में इसी जम्बूद्वीप में पहली बार नोटों का डिस्काउंट सेल देखा। अपने ही रुपयों में से दो हजार रुपये निकाल कर लोग इस शान से घर लौटते जैसे चचा गालिब पहली बार बहादुरशाह जफर के दरबार में ‘ये अंदाज- ए- गुफ्तगू क्या है’ गजल पढ़ कर ओर उस्ताद जौक से पीठ ठोकवा कर लौटे थे। बीवी बच्चे भी मैनेजर हो गये। ब्रेड लाने के लिये 20 बार 

मांगने-निहोरा करने पर 25 रुपये मिलते हैं। मोदी जी को देखो कि हर हफ्ते दिन में मन की​ बात करते थे पर मन में क्या था वह तो 8 नवम्बर को बता गये और फिर चुप्पी साध ली। एक तरफ तो यह आलम ओर दूसरी तरफ नोटबंदी ओर नोटबदली की कथाएं भी परवान चढ़ने लगीं। कहीं सेखबर आती कि फलां जगह बोरों में बरे नोट लावारिस पड़े मिले हैं तो फलां नदी नाले में नोट पाये गये हें ओर एक बिखारी ने निकाला तो उन नोटों के साहआह उसकी तस्वीर अखबारों में छप गयी कि इतने नोट भिखारी के पास से पकड़े गये। इसी डर से शायद राधा गाती थी कि ‘नदी नारे ना जाओ श्याम पैय्यां परूं।’ .. और यह श्याम थे कि अक्सर यमुना किनारे ही घूमते थे कि कहीं श्याम धन की बोरी हाथ लग जाय ओर उसे सुदामा को दें दे। इसी लिये सुदामा भी साथ लगे रहते थे, नहीं दे सके तो अंत में द्वारका बुला कर दिये ब्याज समेत। उधर मीरा को शायद कुछ हाथ लगा था इसी लिये वह गाते फिरती थी कि ‘प्रेम रतन धन पायो।’ भाई साहब यही कहानी नहीं थी और कई वाकये नोटबदली के दौरान सुनने में मिले। एक जमाने में केरोसिन तेल की लाइन में इश्क हुआ करता था लेकिन नोट बदलने और एटीएम से नोट निकालने के दौरान भी इश्क के वारदात सुनने में आने लगे। महल्ले की मोनालिसा जिसकी मुस्कुराहट ‘मिलीयन डालर’ की लगती थी वह तीन हजार के नोट लेकर खड़ी थी बदलवाने के लिये। लम्बी कतार और समानांतर में खड़े दो जवान दिल हाथों में माया थामे। पहले तो नैनन ही सौं बात हुई और फिर नौजवान उसके लिये अपनी जेब के आखिरी बीस के नोट से तली र्मगफली ओर मिनरल वाटर की बोतल ले आया। वह जानता था कि कैलोरी कांशस वह मोनालिसा बताशे नहीं खायेगी और 20 रुपये में काजू की बरफी मिलने से रही। मोनालिसा इम्प्रेस्ड, इस कड़की में भी मिनरल वाटर, वल्लाह जरूर कोई जानदार जवान है। उसदिन शाम हो गयी और नोट नहीं बदले जा सके लेकिन इस दरम्यान दिल धड़कते रहे कथाएं मचलतीं रहीं। दूसरे दिन मुंह अंधेरे दोनों कतार में फिर। नौजवान के सिक्सथ सेंस ने कहा था कि वह आयेगी और उसने थरमस में चाय भरव रखी थी तथा बिस्कुट के पैकेट उधार ले रखे थे। वह आयी लाइन में खड़ी हुई। आंखें चार हुईं और उसके मोनालिसा वाली ‘मिलीयन डालर’ मुस्कान थ्रो किया नौजवान ने लपका ओर ये दिल भीतर से आउट। चाय पी गयी और दस बजे नोट बदले गये और दोनों गायब। सुना है कि दोनों इन दिनों किसी मेट्रो ह्स्टेशन के कॉरीडोर में बतियाते देखे जाते हैं। कमाल है नोटबंदी का साइड इफेक्ट।

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